कुशीनगर जिले में 700 सालों से चल रही पर्ची वाली भूतों की अदालत,एक ऐसा दरगाह जहा लगती हैं भूतों की अदालत,बिना जज और वकील के सीधे ऊपर वाला देता हैं सजा, हिन्दू भूत और मुस्लिम भूत भी लगाते भूतिया अदालत में अपनी पर्ची,किसी को मिलती हैं उम्र कैद तो किसी को मिलती हैं 10 सालों और चंद महीनों की सजा, क्या हैं? इस भूतिया अदालत की कागज़ वाली हाजरी की असल कहानी
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कोई झूम रहा हैं, कोई लेट कर गोल गोल घूम रहा हैं तो कोई जोर जोर से बाल खोल सिर हिला रहा हैं.. यह कोई पागल खाना नही बल्कि कुशीनगर के बूढ़न शाह बाबा की ऐसी दरगाह हैं जो 700 साल से अधिक यहां भूतों की अदालत लगती आ रही हैं,बाबा बूढन शाह की ऐसी कहानी,जो मदीना से बलफ बुखारा की रखता हैं अपनी अलग निशानी, रहस्यमयी किस्सों कहानियों से भरी यह दरगाह पड़रौना नगर से 9 किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के पास जंगल के किनारे और पास में बहने वाले नदी के बगल के टीले पर स्थित बाबा बूढ़न शाह की यह दरगाह हैं,खुदाई में मिले एक अरबी में लिखे ईंट से शुरू हुए बाबा बूढ़न शाह की अस्तित्व की वह कहानी जो हिन्दू और मुस्लिम समाज के लिए हैं 700 सालों से बना हैं आस्था का सबसे बड़ा केंद्र। वही पड़रौना से कुछ ही दुरी पर मलंग बाबा का भी दरबार है। यहां आत्मा का वकालत होता है।
बाबा बूढ़न शाह के दरगाह की तमाम कहानियां और चमत्कार के अनोखे किस्से सुने गए और जहा दावा किया गया कि बाबा के चमत्कार की वजह से नदी उत्तर से दक्षिण की तरफ नही बहती बल्कि बाबा के चमत्कार ने नदी को उल्टी दिशा में बहने को मजबूर कर दिया यू कहे तो दक्षिण से उत्तर नदी बहती हैं..जिसमें नहाने से बीमारियां दूर होती हैं,अब इतना सुन रहा नही गया और पहुंच गए
बाबा बूढ़न शाह के दरबार जो यूपी ही नही बल्कि बिहार,और नेपाल तक प्रसिद्धी हासिल की हैं,दरगाह के बाहर सब शांत था..बाबा के दरगाह को छू कर आशीर्वाद लिया और जब अंदर गए तो अंदर कुछ भी शांत नही था… अशांति की यह तस्वीर देख आंखे फटी की फटी रह गई,बाहर से शांत और अंदर अशांत का यह माहौल बेहद हैरान करने वाला था,जोर जोर से झूम रही महिलाओं की तमाम भीड़ को देख यही सवाल उठा कि आखिर इन्हें हुआ क्या हैं?आखिर क्यों? यह अपनी सुध बुध खो बैठी हैं.आखिर महिलाओं के ऐसे व्यवहार देख क्यों? लग रहा हैं कि इन्हें कोई और कंट्रोल कर रहा हैं,दरगाह के अंदर हर तरफ तरफ सिर्फ मजार क्यों बने हैं,यह सवाल मन में उठ भी रहा था और इसे जानने की जिज्ञासा भी जग रही थी,सवाल यह भी था कि यहां का माहौल सबसे अलग क्यों हैं.कोई कई सालों से आ रहा है तो कोई रोज आता है तो कई महीनों से यहां डेरा जमा कर यही रह रहे हैं,दावे ऐसे की जहा डॉक्टर का इलाज न काम आए वहां बाबा की पर्ची काम आये।
फर्स पर बैठे एक ऐसे शख्स पर नजर पड़ी जो इस दरगाह के मुख्य सेवादार थे..उर्दू भाषा में सादे कागज पर कुछ लिख रहे थे..जब पूछा गया तो पता चला यह भूत बुलाने की हाजिरी बन रही हैं… जब यह हाजरी बनकर बाबा बूढ़न शाह के मजार पर जायेगा तो जिसने हाजिरी लगवाई वह खुद झूमते हुए बाहर आ जायेगा,जीन,भूत,प्रेत की दिक्कत जिस इंसान को होगी वह खुद ऐसे ही जमीन पर लेटते,दौड़ते,हँसते,रोते हुए अपनी गलती की माफी मांगता आएगा और इंसानी शरीर में क्यों शरण ली यह जानकारी देगा,फिर उस इंसानी शरीर को छोड़ने की शर्त बताएगा,कुछ तो कैमरे में कैद हुए तो कुछ ऐसे थे जो कैद करने लायक नही थे क्योंकि वह तस्वीरे डरा देने वाले थे,सबसे खास बात यह थी भले ही यह मुस्लिम समाज की दरगाह हो लेकिन बड़ी तादाद में यहां हिन्दू समाज के लोग भी अपने दर्द से मुक्ति पाने के लिए यहां हाजरी लगाते दिखे,क्या बच्चें क्या बुजुर्ग और क्या महिला क्या पुरुष सब बाबा बूढ़न शाह के दरगाह में सिर पटक रहे थे तो कुछ झूम रहे थे तो कुछ अजीब अजीब बोल रहे थे,बता दे कि यहां पर अपनी सेवा देने वाले सेवा दार की माने तो इस दरगाह के बगल में तीन ऐसे और मजार थे जो हिन्दू समाज से जुड़े उन सेवादारों के थे जो बाबा बूढ़न शाह की सेवा करते करते चल बसे,जिनमे एक ब्राह्मण थे तो दूसरे यादव..जबकि तीसरे एक साधु थे,हिन्दू मुस्लिम समाज के एकता का प्रतीक माने जाने बाबा बूढ़न शाह की इस दरगाह का यही महत्व बेहद खास और सबसे अलग हैं, दरगाह के बगल से ही एक छोटी सी नदी भी यहां उल्टा बहती हैं,और इस नदी में स्थान करने से जिन्हें शारिरिक कष्ट होता हैं जिन्हें दवाओं से आराम नही आता वह इस नदी में नहाते ही अपने तमाम कष्ट से मुक्ति पा जाता हैं,अब इसे आस्था कहे या फिर अंधविश्वास…
:- भूत प्रेतों से मुक्ति पाने का बाबा बूढ़न शाह कुशीनगर वासियों के लिए एक पवित्र स्थान है तो कुछ लोगो के लिए भूतों की सबसे लंबी चलने वाली अदालत,जहां सुनवाई भी होती है और सजा भी तय होता हैं, कौन जज सुनवाई करता हैं, कौन वकील होता हैं यह अपने आप में एक रहस्य हैं,रहस्यों से भरे बाबा बूढ़न शाह की दरगाह पर लोगो की भीड़ देख और किये जाने वाले दावों को सुन शायद विज्ञान भी चौक जाए।