रोड लाइट स्केम ,सरकारी बजट का नंबर एक मे होरहा स्केम

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कौन कौन सी कंपनी की गोण्डा जनपद में लगी है अधिक रोड पर लाइट

ठेकेदार अधिक लाभ के चक्कर मे कम्पनियो से मानक विहीन बनवाते है रोड पर लगने वाली कैंडयूट लाइट

गोण्डा में होर्टर गंज से लेकर स्टेसन रोड तक ,अम्बेडकर चौराहें से जेल रोड ,बहराइच रोड़ से चौक तक,या फिर बस स्टैंड से लेकर lBS डिग्री कॉलेज रोड पर अधिकांश रोड लाइट खराब स्थिति में मिलेगी

उत्तरप्रदेश- इस समय रोड लाइट लगने का चलन जोर पकड़ता जारहा है चाहे जनपद मुख्यालय हो या तहसील, ब्लॉक् या फिर गांव रोड़ लाइट लगने से साम को सहर से लेकर दिहात तक सुंदर दिखे इसके लिए सरकार ने भी हरी झंडी दिखा रक्खा है । और सडको पर होने वाले घटनाएं रुक सके

किस किस निधि से लगती है लाइट 

सांसद निधि ,विधायक निधि ,जिलापंचायत निधि ,एमएलसी निधि,नगरपालिका, छेत्र पंचायत और ग्रामपंचायत इन निधियों से लगती है लाइटे । जिस तरह की निधि उस तरह की लाइटिंग लगती है जैसे सांसद और विधायक निधि से ज्यादातर लाइटिंग लग रही है रोड पर । अब अलग-अलग कैटेगरी है सांसद निधि का बजट अधिक होता है इसलिए सांसद निधि से अधिक लाइटिंग लगती है विधायक निधि से भी लाइट लगती है लेकिन ग्राम पंचायत निधि से लगने वाली लाइटिंग  कनड्यूट लाइट नहीं होती है बल्कि ग्राम पंचायत में लगी बिजली के पोलों पर ही लाइटिंग बांधकर ग्राम पंचायत को रोशन किया जारहा है ।

 

कनड्यूट लाइट स्केम में क्या है खेल 

निधि से लगने वाले रोड लाइट के बारे में जब हमने एक कंपनी से बात किया की किस तरह से लाइट लगती है और कितना मुनाफा लाइट लगाने का होता है  कंपनी के मालिक ने अपना नाम ना बताने और कंपनी का नाम न छापने की सर्त पर बताया उन्होंने जो बताया आपको एकदम बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया ।

इस लाइटिंग मे कई लोगो को चढ़ाना पड़ता है पूजा ठेकेदार अधिक मुनाफा के लिए लाइट का जो पोल बनता है सरकार का मानक होता है पोलका थिकनेस का भी एक पैमाना होता है लेकिन ठेकेदार अधिक मुनाफा के लिए पोल के आगे के सिरे में और पीछे के भाग में समान थिकनेस रखते हैं वही पोल के बीच में ढलाई के दौरान थिकनेस कम कर दी जाती है जिससे पोल का वजन कम हो जाता है यदि कोई चेक भी करता है तो वह पोल के थिकनेस को आगे या पीछे से चेक करता है जो मानक पर पाया जाएगा लेकिन बीच के थिकनेस की नाप कोई नहीं ले पता है जिससे उस पोल की कीमत घट जाती है । वहीं पोल में लगने वाली लाइट जो लैब टेस्टिंग होकर आनी चाहिए वह लोकल लाइट लेकर कंपनी का स्टंपिंग करवा दिया जाता है जिससे लाइट कुछ दिनों में खराब हो जाती है लाइट की गारंटी जबकि 5 साल की होती है और उसके रिपेयरिंग की जिम्मेदारी पूरी तरह से उस फॉर्म की होती है जिसने इंस्टॉल किया होता है लाइट इसीलिए फर्म का 25% सिक्योरिटी मनी 5 साल तक विभाग रोक कर रखता है । लेकिन इन चीजों पर कोई ध्यान नहीं देता है और लाइटिंग कुछ दिनों में खराब हो जाती है जो फिर राम भरोसे रहती है । इन बातों की जानकारी ना तो पब्लिक की होती है और ना ही किसी भी पब्लिक डोमिन पर लिखा होता है । उत्तर प्रदेश सरकार में सड़कों पर होने वाली घटनाओं को देखते हुए जनपद में काम कर रही यूपी नेएडा को जिम्मेदारी दिया है हर घर रोशन हर गांव रोशन और हर शहर रोशन के तर्ज पर सोलर लाइटिंग लगना शुरू हो गई है । जिसके लिए सरकार डायरेक्ट पेमेंट up Neda के माध्यम से करवा रहे है जिसके लिए अब सोलर लाइट में अब केवल जनप्रतिनिधियों से लाइट का केवल डिमांड करना होता है बाकी लाइट लगवाने की जिम्मेदारी up neda की होती है ।

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