*(27 अप्रैल 2024) का पंचांग*-
*मास-* वैशाख मास।
*पक्ष*- कृष्ण पक्ष।
*तिथि*- तृतीया (सुबह 07:16 तक तत्पश्चात् चतुर्थी)।
*नक्षत्र*- ज्येष्ठा (देररात्रि 03:08 तक तत्पश्चात् मूल)।
*राहूकाल*- सुबह 08:43 से सुबह 10:21 तक। (इस काल में कोई भी शुभ कार्य का आरंभ नहीं किया जाता है)
*अग्नि वास*- पाताल में (हवन करना अशुभ कारक है)।
*होमाहुति*- मंगल।
*योग*- परिघ (देर-रात 02:09 बजे तक, तत्पश्चात् शिव)।
*श्रीसंवत्*- 2081
*संवत्सर*- कालयुक्त।
*दिशाशूल*- पूरब में (यात्रा जरूरी हो तो अदरक खाकर जाएं)
*वार-* शनिवार।
*अयन-* उत्तरायण।
*अभिजित शुभ मुहूर्त*- सुबह 11:33 से दोपहर 12:25 तक।
शुक्र पूरब में हैं। और 01 मई को पूरब में अस्त हो जाएंगे।
*अमृत काल*- रात्रि 07:22 से रात्रि 09:01 तक।
*पंचक*- ………………..।
*भद्रा*- सुबह 05:26 से सुबह 07:16 तक।
*भद्रा का वास*- स्वर्ग में।
*सर्वार्थसिद्धि योग*- ……….।
*मूल(सत्तइसा*- सुबह 05:26 से 28 अप्रैल, रविवार को देर रात्रि 03:01 तक।
*मूल का वास*- पाताल में।
*राहूवास*- पूर्व में।
*चंद्रवास*- उत्तर में।
*सूर्योदय*- सुबह 05:26 पर।
*सूर्यास्त*- सायं 06:25 पर होगा।
*शिववास*- क्रीड़ा में (कष्ट एवं दुख)।
*व्रत एवं त्योहार*- संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत।
*(आचार्य पंकज कृष्ण शास्त्री जी*)
*भागवत कथा प्रवक्ता*
*अयोध्या धाम*
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