ज्वलंत मुद्दों पर मुखर हो रहे युवा, चाहते हैं समाधान

0
184

वोट किसे देना है यह तय कर चुके हैं युवा

20142019 में चार सीटों पर एक लाख नोटा वोट पड़े थे

ज्वलंत मुद्दों पर मुखर हो रहे युवा, चाहते हैं समाधान

Rajmangal singh

गोंडा, : देश व प्रदेश की राजनीति में मुद्दों की बौछार है। लेकिन उम्मीदवार इन मुद्दों को दरकिनार कर लोगों को अपने जुमले, पार्टी की नीतियों सहित अन्य सब्जबाग दिखा रहे हैं। लेकिन मुद्दों पर बात करने को कोई उम्मीदवार तैयार नहीं है। जिला, मंडल व प्रदेश में युवाओं के सामने रोजगार, नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई अन्य मुद्दे हैं जिन पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। देवी पाटन मंडल में करीब एक करोड़ मतदाता है जिनमें 30 प्रतिशत से अधिक युवा हैं जिनके सामने कई समस्याएं हैं इसका समाधान न मिलने पर युवाओं ने कहना शुरू दिया है कि वे किसी प्रत्याशी को वोट नहीं देंगे और नोटा दबाएंगे।
डिग्री कालेज में पढ़ने वाले से लेकर कृषि एवं अन्य कार्यों में लगे करीब 500 युवाओं से बात चीत की गई। इनमें करीब 150 युवाओं ने अपनी बात बेबाकी से रखी। उन्होंने कहा कि सरकारें युवाओं की बात तो करती हैं लेकिन उनके रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी पर बात करने पर भागती है। जानकी नगर में पहली बार वोटर बने अनिकेत कहते हैं कि नौकरी के नाम पर कोई उम्मीदवार बात नहीं कर रहा है। देवी पाटन मंडल में उच्च शिक्षा प्राणहीन हो गई है लेकिन उस पर बात नहीं हो रही है। इसलिए वह पहली बार वोट डालने जाएंगे लेकिन किसी प्रत्याशी को वोट नहीं देंगे। कटरा बाजार के सुजीत मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने 2019 में भी नोटा दबाया था। इस बार भी नोटा दबाएंगे। युवा शनी सिंह भी पहली बार वोट डालेंगे लेकिन उन्होंने कहा कि वोट तो किसी न किसी को देंगे लेकिन मंडल मुख्यालय पर एक विश्वविद्यालय स्थापना की बात हुई थी वह भी राजनीतिक लड़ाई में चला गया। जब यहां के जनप्रतिनिधि युवाओं का मुद्दा नहीं उठा सकते हैं तो वोट देने का कोई मतलब नहीं है। इसी तरह से दिल्ली, मेरठ व लखनऊ में पढ़ने वाली कई छात्राओं ने भी वोट का महत्व तो बताया लेकिन अपनी बात मजबूती से रखी। गोंडा से निकलकर दिल्ली पढ़ने गई दीक्षिता कहती हैं कि जो युवाओं की बात करेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार तथा नौकरी की बात करेगा वोट उसी को दिया जाएगा। 500 युवाओं में 200 लोगों ने किसी उम्मीदवार को वोट देने की बात कही तो 150 लोगों ने बताया कि अभी तय नहीं है कि वोट किसे देना है।
इनसेट
2014 व 2019 में सभी निर्दल उम्मीदवारों से अधिक प्रयोग हुआ नोटा
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में गोंडा, कैसरगंज, बहराइच व श्रावस्ती सीटों के लिए हुए चुनाव में 47926 नोटा के वोटों की गिनती हुई थी। वहीं 2019 में 51883 लोगों ने नोटा के बटन दबाए थे। यानि 2014 के मुकाबले 2019 में नोटा की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में माना जाए तो नोटा की संख्या में इस बार भी इजाफा हो सकता है। हालांकि चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
इनसेट
क्या है नोटा
पीपुल्स यूनियन आफ सिविल लिबर्टीज(पीयूसीएल) संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को नागरिकों के अधिकार का हवाला देते हुए यह आदेश पारित किया था कि चुनाव के दौरान यह आप्शन रखा जाए जिसमें किसी प्रत्याशी के पसंद न आने पर लोगों को विकल्प मिल सके। 2013 में सरकार ने ईवीएम में सबसे नीचे एक लाल रंग की बटन की व्यवस्था की जिसका नाम नोटा(नन आफ एवब) यानि इनमें से कोई नहीं का विकल्प दिया गया। इसका असर 2014 के लोकसभा व अन्य विधानसभाओं के चुनाव में खूब दिखा।

इनसेट

सभी निर्दल उम्मीदवारों को नोटा से कम मिले वोट
लोकसभा चुनाव 2014 में गोंडा लोकसभा में 14 उम्मीदवार थे। इसमें आठ उम्मीदवारों को नोटा से कम मत प्राप्त हुए थे। 2019 में 15 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें 12 उम्मीदवारों को नोटा से कम मत प्राप्त हुए थे। इसी तरह कैसरगंज सीट से 2014 में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें 10 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले थे। 2019 में 12 उम्मीदवारों में 9 प्रत्याशियों को नोटा का आधा वोट भी नहीं मिला था। यही हाल बहराइच व श्रावस्ती में था। श्रावस्ती में 2019 में 17 हजार से अधिक नोटा का प्रयोग किया गया था।

इनसेट

फैक्ट फाइल
लोकसभा क्षेत्र वर्ष पड़े वोट नोटा
गोंडा 2014 873732 7988
—— 2019 923816 8418
कैसरगंज 2014 943357 11853
——– 2019 981400 13168
बहराइच 2014 934263 13498
——— 2019 989848 13189
श्रावस्ती 2014 979638 14587
——– 2019 997007 17108

इनसेट

ये हैं ज्वलंत मुद्दे
-देवी पाटन मंडल मुख्यालय पर विश्वविद्यालय की मांग
– 03 लाख युवाओं की बेरोजगारी
– तकनीकी व व्यसायिक शिक्षा न होना।
– बजाज चीनी मिल द्वारा लंबित किसानों का गन्ना भुगतान
– गोंडा व बहराइच में सीवर लाइन का न होना।
– ठेका नौकरी में युवाओं का दोहन।
– एक लाख युवाओं का इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई बंद होना आदि।
इनसेट
500 युवा मतदाताओं से पूछे गए सवाल-
देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनाव में आप किसे वोट देंगे?
आप किन मुद्दों को जरूरी समझते हैं और उसका हल कैसे चाहते हैं?
सनातन पर कुठारा घात हो रहा है उसे किस तरह देखते हैं और क्या यह चुनाव का मुद्दा है?
एक देश एक चुनाव का आप समर्थन करते हैं या नहीं
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा चुनाव का मुद्दा है या नहीं
संविदा व ठेका नौकरी ठीक है या इसमें बदलाव जरूरी है?
इनसेट
युवाओं के जवाब प्रतिशत में
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वोट-20 प्रतिशत
खराब शिक्षा व्यवस्था-20 प्रतिशत
रोजगार की किल्लत-14 प्रतिशत
एक देश एक चुनाव के पक्ष में-10 प्रतिशत
सनातन के पक्ष में- 20 प्रतिशत
ठेका नौकरी के विरोध में-16 प्रतिशत

सौजन्य से अमृत विचार

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here