महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कांग्रेस की शिकायत के आधार पर, राज्य की पहली महिला डीजीपी रश्मि शुक्ला को उनके पद से हटा दिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब विभिन्न राजनीतिक दलों ने रश्मि शुक्ला की गतिविधियों को लेकर चिंता जताई। चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे सबसे सीनियर आईपीएस अधिकारी को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपें और कल (5 नवंबर) तक तीन आईपीएस अधिकारियों का पैनल भेजें।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में अधिकारियों को निष्पक्ष और उचित तरीके से कार्य करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि सभी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय गैर-पक्षपाती रहना चाहिए, ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
रश्मि शुक्ला का करियर उल्लेखनीय रहा है। वे 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं और महाराष्ट्र में पहली महिला डीजीपी बनने का गौरव रखती हैं। उन्होंने सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया है। इसके अतिरिक्त, रश्मि शुक्ला राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख भी रह चुकी हैं, जहाँ उन्हें कुछ विवादों का सामना करना पड़ा था। उन पर आरोप था कि उन्होंने कुछ प्रमुख राजनीतिक नेताओं के फोन की अवैध तरीके से टैपिंग की थी। इस मामले में, शिवसेना के नेता संजय राउत और एनसीपी के एकनाथ खडसे शामिल थे।
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं, और सभी 288 सीटों पर मतगणना 23 नवंबर को होगी। पिछले विधानसभा चुनावों में, 2019 में भाजपा ने 105 सीटें, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 2014 में भाजपा की सीटों की संख्या 122 थी। इस बार चुनाव आयोग का यह निर्णय राजनीतिक परिदृश्य में हलचल पैदा कर सकता है, खासकर तब जब चुनावी माहौल गरम है। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की नजर इस फैसले पर होगी, जो चुनावी निष्पक्षता और प्रशासनिक तंत्र की भूमिका को प्रभावित कर सकता है।