360 करोड़ खर्च, अधूरी सड़क छोड़ संस्था फरार

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छह साल में पूरी नहीं हुई जरवल-गोंडा फोर लेन
जगह-जगह क्षतिग्रस्त भी हो गई बनी सड़क
संस्था काम छोड़ फरार, 15 करोड़ का नहीं हुआ भुगतान
गोंडा। सिद्धार्थनगर, बलरामपुर व गोंडा जिले की लाइफलाइन गोंडा – जरवलरोड फोर लेन सियासत की भेंट चढ़ गयी। 2016 से 2022 में पहुंच गए लेकिन 385 करोड़ की यह सड़क अधूरी रह गई। अब तो बनी सड़क भी दोबारा रिपेयर कराने लायक हो गई है। अधूरा काम छोड़ संस्था चली गई। कारण संस्था का ही 15 करोड़ का भुगतान नहीं हुआ। अब नये सिरे से लोनिवि ने 400 करोड़ का रिवाइज्ड इस्टीमेट भेजा है, जिसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।
वर्ष 2016 में तत्कालीन सपा सरकार में गोंडा से जरवलरोड तक 42 किलोमीटर को फोर लेन बनाने की स्वीकृति मिली। बाराबंकी से बहराइच नेशनल हाइवे से जोड़ने के लिए जरवलरोड से गोंडा तक 42 किलोमीटर के निर्माण को स्टेट प्रोजेक्ट के तहत स्वीकृति दी गई। देवीपाटन मंडल मुख्यालय गोंडा होने के बाद भी इसकी उपेक्षा की गई। स्टेट प्रोजेक्ट के तहत 385 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जिसमें वर्ष 2018 में 75 करोड़ अवमुक्त कर दिया गया। कार्य कराने की जिम्मेदारी एचडीपीएल को दिया गया। राजनीतिक उठापटक के बीच सड़क के मध्य दो रेलवे समपार फाटक व दो नदियों के पुल निर्माण के लिए स्वीकृति नहीं दी गई। इसलिए आज भी 42 किलोमीटर मार्ग पर चार स्थानों पर अवरोध उत्पन्न होता है।
एचडीपीएल ने 2018 से निर्माण कार्य शुरू किया और अधूरा काम छोड़ कर चली गई। गोंडा शहर में अतिक्रमण होने के कारण शहर के बड़गांव चौराहे से जयनारायण चौराहे तक एक लेन का निर्माण ही नहीं किया। तत्कालीन डीएम डा नितिन बंसल ने अतिक्रमण हटवाया तो शासन ने 385 करोड़ में से 15 करोड़ का भुगतान ही नहीं किया। राजनीतिक रसूख वालों की दबंगई व वसूली के कारण सड़क का निर्माण भी मानक के अनुसार नहीं हुआ। ऐन केन प्रकारेण सड़क का आधा अधूरा काम निपटाकर संस्था रफूचक्कर हो गई और निर्माण कार्य अधूरा रह गया।
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15 करोड़ मिले तो हो अधूरा काम
सड़क के लिए स्वीकृत 385 करोड़ में 360 करोड़ का ही भुगतान किया गया है। 15 करोड़ न मिलने से काम पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने कई बार डिमांड भेजी लेकिन भुगतान नहीं किया गया।
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अभी भी फोर लेन में कई अवरोध
फोर लेन के लिए शेष बजट मिल भी जाए तो एक दर्जन से अधिक अवरोध ऐसे हैं जिन्हें हटाने के लिए प्रशासन को लोहे के चने चबाने जैसा है। करनैलगंज से गोंडा के मध्य कई पेड़ सड़क पर ही लगे हैं जहां धार्मिक स्थल बनाकर कब्जा किया गया है। यही हाल शहर के अंदर भी है जिसे कोई छूने की हिम्मत नहीं कर रहा है।
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स्पीड ब्रेकर बने हैं दो पुल व दो समपार
करनैलगंज से जरवल के बीच की दूरी मात्र 13 किलोमीटर है। इसमें सरयू व जहंगिरवा दो रेल क्रासिंग है। यह अक्सर बंद रहती है। इसके अलावा सरयू पुल दो लेन का है। 1965 बने इस पुल पर हर साल दरार पड़ जाती है जिससे 15-15 दिनों तक आवाजाही ठप हो जाती है। इस बूढ़े पुल के निर्माण के लिए सेतु निगम ने फोर लेन पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी मार्ग पर बालपुर के पास टेढ़ी नदी पर भी दो लेन का पुल बना है जिसे फोरलेन बनाने के लिए सियासी कसरत कई साल से चल रही है।

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