गोण्डा चैत्र नवरात्रि में गोंडा के कई देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है भक्त श्रद्धा के साथ देवी मंदिरों में माता का दर्शन कर पुण्य कमाते हैं गोंडा में काली भवानी देवी मंदिर और खैरा भवानी देवी मंदिर के साथ बेलसर ब्लाक क्षेत्र के उत्तरी भवानी देवी मंदिर है जिसको मां बाराही देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह 51 शक्तिपीठ में 34वा शक्तिपीठ है यहां पर नवरात्रि के अलावा भक्त सोमवार और शुक्रवार को माता का दर्शन कर पुण्य कमाते हैं नवरात्रि में गोंडा के पड़ोसी जिलों सहित अन्य प्रांतों के लोग दर्शन करने आते हैं और लगभग लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता रानी का दर्शन करते हैं ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी सच्चे दिल से मन्नते मांगता है माता रानी उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं आइए आपको ले चलते हैं बेलसर ब्लाक क्षेत्र के 34 में शक्तिपीठ मां बाराही देवी मंदिर में
हर किसी व्यक्ति के जीवन में मां का महत्व उस व्यक्ति के जीवन से कहीं बढ़ कर होता है और जो जगत जगतजनी है उसके स्थान का तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता है। इसी मां का एक मंदिर गोण्डा जिले के बेलसर क्षेत्र में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि सती मां के शरीर को जब शंकर भगवान लेकर जा रहे थे भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिये अपने चक्र से उनके शरीर को छिन्न भिन्न कर दिया था और उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे जो बाद में शक्ति पीठ बन गये। उन्हीं में से एक है वाराही देवी का स्थान ये स्थान 34वा शक्तिपीठ है यहां पर मा सती के पीछे के दो दांत गिरे थे जहां पर आज भी दो छिद्र मौजूद हैं जिनकी गहराई आज तक नही मापी जा सकी है। ऐसी किवदन्ती है कि सालों पहले किसी ने ऐसा करने का प्रसास किया था तो उनकी देखने की शक्ति चली गई थी। इसके बाद इस छिद्र में करीब 4000 मीटर धागे में एक पत्थर बांध कर डाला गया था मगर कुछ पता नहीं चल पाया। यहां यूं तो रोजाना हजारों भक्त दर्शन करते हैं लेकिन नवरात्र में यहाँ रोज लाखों भक्तों का जमावड़ा रहता है। एक ख़ास रिपोर्ट ,,,
मां का उल्लेख पुराणों में सभी का कल्याण करने वाली देवी माँ के रूप में हुआ है। गोण्डा मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर बेलसर ब्लाक के उमरी में स्थित वाराही देवी (उत्तरी भवानी) का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के विद्वान बताते है कि सती मां अग्नि में प्रवेष कर जाने के पष्चात उनके शरीर को जब शंकर भगवान शमाधी लेने लेकर जा रहे थे तो विष्णु भगवान ने जगत कल्याण के लिये अपने चक्र से उनके शरीर को छिन्न भिन्न कर दिया था और उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे उसी में से एक अंग जबड़ा इस स्थान पर गिरा और ये स्थान 34 वें शक्ति पीठ वाराही देवी के नाम से जाना जाने लगा और जब वाराह भगवान ने पृथ्वी को बचाने के लिये जब अवतार लिया था तो यहीं पर आवाहन पर वाराही देवी उतरी थी। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई सारी मन्नतें पूरी हो जाती है
इस मन्दिर पर पूरे न्योरात्रि में भक्तों का जमावड़ा लगता है यहां लोग अपनी तरह तरह की मुरादें लेकर आते है और सभी की मुरादे पूरी होती हैं। माता जी के भक्तो ने बताया कि यहां का बहुत बड़ महत्व है।
इस मंदिर की महिमा किसी से छुपी नहीं है यहां नवरात्र में लाखों लोग यहां सर झुकाने आते है और उनकी मनोकामनायें पूरी होती है। तो आइये आप भी और माँ वाराही का दर्शन कर पुण्य कमायें।