महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली प्राकृतिक सुंदरता के साथ आज भी आस लगाए बैठी

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 UP Gonda गोंडा जहां समूचा देश 21 जून को योग दिवस के रूप में मना रहा है वही देश के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सहित जिला प्रशासन पूरी तैयारी में योग दिवस के लगा हुआ है योग दिवस को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास जिला प्रशासन कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि का जन्मस्थली आज भी उपेक्षा का शिकार है पूरे भारत में बाबा रामदेव महर्षि पतंजलि के नाम को बेचकर बहुत बड़े व्यवसाई बन गए और योग गुरु भी कहे जाने लगे लेकिन गोंडा जनपद में कोडर ग्राम सभा के बीच में महर्षि पतंजलि का जन्मस्थली आज भी उपेक्षित पड़ा है। स्थानीय लोगों के और आश्रम पर रह रहे पुजारी की माने तो महर्षि पतंजलि शेष अवतार थे

आज भी उनकी समाधि वहीं पर बनी है एक छोटी सी राम जानकी मंदिर भी है पुजारी जी रहते हैं और आज भी वहां पर गांव में लोगों को योग की कक्षाएं चलाते हैं। महर्षि पतंजलि के जन्मस्थली पर ना तो शासन प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही देश के बड़े व्यवसाई बाबा रामदेव ही कुछ ध्यान दे रहे हैं

कहां जाता है की महर्षि पतंजलि एक कमरे में पर्दे के पीछे रहते थे कभी भी किसी को वह हो दर्शन नहीं देते थे और पर्दे के पीछे से ही अपने शिष्यों को योग सिखाया करते थे | महर्षि पतंजलि दुनिया को निरोग रखने के लिए लोग जैसी शिक्षा देकर चले गए लेकिन आज उन्हीं के नाम का व्यवसायीकरण हो रहा है । बाबा रामदेव अपने सभी उत्पादों में महर्षि पतंजलि का नाम डाल दिए और महर्षि पतंजलि के नाम से अपने आयुर्वेदिक दवाओं का व अन्य वस्तुओं का बिक्री कर आज देश के बड़े व्यवसाई में नाम दर्ज करा लिए लेकिन गोंडा जनपद की वजीरगंज कोडर  गांव में महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी राह देख रही है शासन और प्रशासन का कि शायद कोई आए और इस अद्वितीय अस्थान का जिर्णोधार कराएगा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया लेकिन आज भी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आस लगाए प्राकृतिक सुंदरता के साथ राह देख रहा है कि शायद देश के प्रधानमंत्री की निगाह महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली तक भी पहुंच जाए। महर्षि पतंजलि के जन्मस्थली के बगल में कोडर झील और झील में कमल के फूल आज भी अत्यंत सोभनिये लगते है आज भी चिड़ियों की चक चकहट कोयल की बोली सुनने को मिलती है स्थान पर पहुंचने के बाद लगता है जैसे किसी दिव्य स्थान पर पहुंच गए हैं।

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