नीतीश और चंद्रबाबू नायडू हो सकते हैं असली खिलाड़ी

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राजमंगल सिंह

2024 लोकसभा परिणाम आ चुका है। लगातार दो बार से पूर्ण बहुमत रखने वाली नरेंद्र मोदी अमितशाह की बीजेपी को इस बार जनता ने केवल 241 पर क्लोज कर दिया है। वही इंडिया गठबंधन को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। लेकिन इस चुनाव में टीडीपी के चन्द्रबाबु नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हीरो की भूमिका  में आ गए है। अब चन्द्रबाबु नायडू और नितीश कुमार एनडीए को समर्थन नही करते है और इंडिया के पाले में चले जाते है तो सत्ता इंडिया के हाथ में चली जायेगी

 

नायडू और निवर्तमान प्रधानमंत्री मोदी के बीच तीखे  रिश्ते रहे है ।और चुनाव चंद्र बाबू नायडू की पार्टी ने भाजपा से गठबंधन के साथ लड़ा है।  नायडू  एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। पहले भी ऐसे मौके आए थे जब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की स्थिति में मेन भूमिका निभाई है। सन 1984 के चुनावों के बाद टीडीपी लोकसभा में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रहे थे। उस समय पार्टी ने दावा किया था कि उसने पीएम और राष्ट्रपति के नाम का फैसला किया गया था। होसकता ऐसी ही भूमिका इस बार भी पार्टी चाह रही है।

अब देश में सबकी निगाहें  नायडू और  नीतीश कुमार पर हैं। दोनों समय-समय पर साझेदार और रणनीति बदलने के लिए मशहूर हैं। इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस न मिलने की वजह से उन्होंने साझेदार बदल लिए थे। ऐसा माना जाता है कि यह वह कारण था जिसकी वजह से उन्होंने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का साथ पकड़ लिया था।

हालांकि हाल ही में उन्होंने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया है लेकिन उसके बारे में साफ तौर पर अब तक नहीं बताया गया है। आंध्रा में बीजेपी के पास एक प्रतिशत भी वोट बैंक नहीं है, बावजूद उसके उन्हें छह सांसद और दस विधानसभा की सीटें दी गई थी। शायद ऐसा कर  नायडू केंद्र और बीजेपी के संसाधनों का इस्तेमाल कर सत्तारूढ़ वाईएस कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते थे।

चंद्रबाबू नायडू का भाजपा के साथ कोई वैचारिक या भावनात्मक संबंध नहीं है। उनका व्यवहार मौजूदा स्थितियों के हिसाब से बदलता है, इसलिए स्थिति बदलने पर कुछ भी हो सकता है। हालांकि टीडीपी और बीजेपी ने चुनाव से पहले गठबंधन किया था। इसलिए ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि तुरंत कोई बदलाव देखने को मिलेगा, लेकिन एनडीए सरकार के गठन में कई बड़ी मांगे रखी जा सकती हैं। इससे पहले जब टीडीपी, एनडीए का हिस्सा थी, तब तेलुगू देशम के नेता कहते थे कि राम जन्मभूमि, धारा 370 और सामान्य नागरिक संहिता को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। वे इस बार भी इसी तरह की बात कर सकते हैं।

ऐसे में यह बात आधर में फंसी है कि आखिर सरकार किसकी बनेगी और अगला पीएम कौन होगा क्योकि न तो नितीश कुमार ने और न ही चन्द्र बाबु नायडू ने अपने पत्ते खोले है। अब देखना होगा कि आज रात तक कौन किसके पाले में नज़र आता है। फिलहाल तो सब कुछ शायद ख़ामोशी दफ्तर में हो रहा है।

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