कहते हैं जो सपने देखते हैं साकार उन्हीं के सपने होंगे जो सपने ही दही देखे उनको सफलता कहां से मिलेगी
उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से भरी जाती है
नगर मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्ता की कहानी उन्हीं की जुबानी आइए आपको मिलाते हैं अर्पित गुप्ता जो गोंडा जनपद के नगर मजिस्ट्रेट है उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी
पाँच साल पहले ( 26 मार्च 2015 ,दिन – बृहस्पतिवार)
आज भी तारीख़ वही है, दिन भी वही है,बस साल बदला है, उस दिन को याद करके आँखे नम हो जाती हैं,
सुबह सुबह लगभग 7 बज रहा होगा, सूरज की रोशनी सीधे 8×10 के कमरे में आकर धीरे से बोली उठो कितना सोओगे,मैंने कहा उठ तो जाऊँ लेकिन आज का दिन कैसे कटेगा कयोंकि आज इतने वर्षों की मेहनत का परिणाम आने वाला (pcs 2013) था ,वह धीरे से बोली उठो सब अच्छा होगा, मैंने आंखें खोली सामने भगवान् की कई तस्वीरें लगीं थीं ( जिनकी पूजा मेरे रूम पार्टनर ‘तिवारी जी ‘ करते थे,हालांकि मैं नास्तिक तो नहीं लेकिन इतनी असफलताओं के बाद शायद विश्वास थोड़ा कम हो गया था ) थोड़ी देर तस्वीरों को निहारता रहा जैसे उनसे आज आने वाला परिणाम के बारे में पूछने का प्रयास कर रहा था हालांकि कोई जवाब नहीं मिला ,तिवारी जी की दी हुई चाय के साथ कमरे से बाहर आया,तिवारी जी पढाई में लग गए कयोंकि दो दिन बाद PCS 2015 pre. की परीक्षा भी थी जिसमें मेरा मन बिलकुल नहीं लग रहा था चाय पीते पीते पीछे से तिवारी जी की आवाज़ आई, रिजल्ट के बारे में सोचना छोड़ो और पढाई करो, मैंने फोन चेक किया, हालाकि किसी का फोन ( परिवार, रिश्तेदार) या मैसेज तो कबका आना बंद हो चुका था, दो चार मित्र थे जिनका मैसेज आता था हालांकि वह भी
तैयारी में लगे थे ,कोई नहीं था जिससे मैं अपने मन में उठ रही हलचलों को बता पाता ,जैसे तैसे बिना नहाये घर से निकला ,सड़क तक चक्कर लगा कर वापस आ गया कयोंकि गर्मी बहुत थी,फिर अपने मेन्स के पेपर निकाले जोड़ घटा के अपने आप को संतुष्ट किया कुछ न कुछ तो मिल ही जायेगा, तब तक खाने का समय हो गया, बनाने का समय मेरा था, दो कुकर में दाल चावल रखा( अनाज तिवारी जी के घर से आता था कयोंकि मैं तो 4 साल से घर गया ही नहीं था), दोनों लोगों ने खाना खाया, फिर दिन का आराम ( जो लगभग इलाहाबाद में सभी विधार्थी करते थे), मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं फिर घर से निकला, लगभग 3 बज रहा होगा, निकलते ही एक सीनियर से मुलाकात हुई जो लगभग हर इंटरव्यू दे रहे थे, मन में आया जब इनका नहीं हुआ तो मेरा क्या होगा क्योंकि मेरा पहला इंटरव्यू था, आगे बढ़ा एक दुकान कोल्ड ड्रिंक की खुली थी बाकी सन्नाटा था, दुकान पर भारत- आस्ट्रेलिया का सेमीफाइनल मैच एक दो लोग देख रहे थे, मुझे क्रिकेट में कोई इंट्रेस्ट नहीं लेकिन समय काटना था दुकानदार ने दुकान बंद करने की धमकी दी,फिर मैंने जेब में हाथ डाला तो 30 रूपये थे एक कोल्ड ड्रिंक खरीद ली जैसे ही बोतल खत्म हुई उसने दुकान बंद कर दी, मैं फिर लौटा एक मित्र के कमरे पर पहुँचा दरवाजे पर एक जूनियर मिला बोला भइया आपका पहला इंटरव्यू था इसलिए ज्यादा उम्मीद मत करिये, खैर मित्र लोग पढ रहे थे मैं चुपचाप बैठा रहा कोई मुझसे नहीं बोला, फिर एक मित्र ने साइकिल निकाली कहीं जाने के लिए, मैंने कहा मुझे भी लिए चलो लेकिन उसने मना कर दिया वह बोला परेशान न हो कुछ नहीं होगा जैसे यह कह रहा था कि तुम्हारा नहीं होगा , मैं कमरे पर आ गया, तिवारी जी उठ गए थे, मैं छत पर टहलने लगा, बार बार आयोग की साइड चेक कर रहा था, अब सूरज ढलने लगा था मैंने तिवारी जी से कहा चलिये बाहर घूम आते हैं बड़ी मुश्किल से वह तैयार हुए ,कमरे में ताला डाल के नीचे आये ,नीचे आते आते कई बार रिजल्ट चेक कर चुका था जैसे ही नीचे आया रिजल्ट आ गया, धडकनों की रफ़्तार इतनी तेज थी कि लग रहा था हार्ट फ़ेल हो जायेगा, जैसे तैसे रोल नंबर डाला, पेज के सबसे नीचे नाम और रोल नंबर छपा दिखा, लगा नीचे से टाॅप कर दिया हालाकि मन उससे भी बहुत खुश हुआ, फिर पेज ऊपर किया तो डिप्टी कलेक्टर ( SDM) ,विश्वास नहीं हुआ तेजी से चिल्लाया, मित्रों से कहा चेक करो मेरे तो हाथ कांप रहे थे अनायास ही आंसू रूक ही नहीं रहे थे, भीड़ लगनी शुरू हो गई, जेब में मात्र 20 रूपये थे कैसे मिठाई खिलाते सबको, खैर सबसे पहले फोन मम्मी को किया फिर धीरे-धीरे संभला, सब कुछ सेकंडों में बदल चुका था, वह दिन है और आज का दिन, सब कुछ बदल चुका है 🙏
बस तैयारी कर रहे भाइयों से यही कहूँगा कि इमानदारी से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता
दूसरा जो लोग सफल हो गये हैं किसी भी पद पर, उनसे यह कहना चाहूँगा कि घमंड कभी किसी चीज़ का न करें, दुनिया में सभी अपने अपने मेहनत का कर रहे हैं कमा रहे हैं अगर कुछ कर सकते हैं तो जरूरत मंदों की मदद करें क्योकि अहंकार तो स्वयं प्रभु का भी नहीं टिक पाया हम सब तो फिर भी इंसान हैं
कुछ गलती हुई तो क्षमा
आपका अर्पित
# Stay home save lives 🙏