इस्लाम धर्म में बहुत पवित्र महीना माना जाता है रमजान कहते हैं अल्लाह की रहमत होती है इस माह में

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गोंडा रमजान का महीना इस्लाम धर्म में बहुत पवित्र महीना है। इस महीने में अल्लाह की खास रहमते रहती हैं। यदि कोई इस महीने में एक पुण्य कार्य करता है। तो उसके बदले उसको 70 नेकी मिलती है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है। और नर्क के दरवाजे बंद कर देता है। इसी के साथ शैतान को भी इस महीने में कैद कर दिया जाता है।

 

रोजा हमें बुराइयां छोड़ नेक इंसान बनने का संदेश देता

 

रमजान के महीने में ही अल्लाह ने कुरान को आसमान से नीचे उतारा जिसमें जीवन जीने के तरीके बताए गए हैं।

रोजे की शुरुआत 2 हिजरी से हुई थी। हजरत मोहम्मद जब मक्का छोड़कर मदीना पहुंचे उसके एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुकुम आया। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में रोजा को लेकर अल्लाह का हुक्म आया कि रोजा तुम पर उसी तरह फर्ज किया गया है। जैसे तुम से पहले लोगों पर फर्ज किया गया था।

रोजा रखने का मकसद स्वयं के अंदर झांकने का मौका होता है। वह अपनी बुराइयों को दूर करता है। और एक नेक इंसान बनने के लिए इबादत करता है। नेक बंदों पर ही खुदा की रहमत और बरकत होती है।

ईद हमें गिले-शिकवे भूलकर आपस में भाईचारा का संदेश देता

मुसलमानों की एक महीना रोजा रखने के बाद ईद उल फितर का त्यौहार आता है। जिसकी खुशी में सभी लोग एक दूसरे को मिठाईयां या सेवई खिलाते हैं। ईद उल फितर इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने सव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चांद के देखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार गिले-शिकवे भूलकर आपस में भाईचारा का संदेश देता है।

माना जाता है कि सबसे पहले ईद सन 624 ईसवी में पैगंबर हजरत मोहम्मद ने मनाई थी। इस ईद को ईद उल फितर के नाम से जाना गया। पैगंबर हजरत मोहम्मद ने ईद बद्र के युद्ध में विजय हासिल करने की खुशी में मनाई थी।

ईद शब्द का उपयोग अरबी फारसी और उर्दू तीनों भाषाओं में होता है। ईद का अर्थ हिंदी में पर्व या त्यौहार के होते हैं। ईद शब्द का अर्थ खुशियां हर्षोल्लास के लिए उपयोग किया जाता है।

 

 

 

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