उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। राज्य के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह सोमवार की शाम अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर पहुंच गए। यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में तल्खी की चर्चाएं जोरों पर थीं।
करीब पौन घंटे तक चली इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कहा जा रहा है कि यह बैठक बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी के बीच बढ़ी दूरियों को कम करने की कोशिश के तहत हुई। लेकिन मुलाकात के बाद जो दृश्य सामने आया, उसने और सवाल खड़े कर दिए।
सीएम आवास से बाहर निकलते समय बृजभूषण शरण सिंह की बॉडी लैंग्वेज कुछ और ही कहानी बयां कर रही थी। मीडिया के सवालों का सीधा जवाब देने से बचते हुए उन्होंने सिर्फ इतना कहा – “प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, तो मुलाकात होनी ही चाहिए और हुई है।” जब पूछा गया कि मुलाकात में क्या खास रहा, तो बोले – “उनसे मुलाकात ही खास रही।”
बृजभूषण शरण सिंह को आमतौर पर बेबाक बोलने वाला नेता माना जाता है। लेकिन इस बार उनका मौन रहना कई बातें कह गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मुलाकात में उन्हें संतोषजनक आश्वासन मिला होता, तो वो खुलकर बात करते। उनके चेहरे से भी यह साफ झलक रहा था कि जिस अपेक्षा और उम्मीद के साथ वो पहुंचे थे, वो पूरी नहीं हो सकी।
पिछले कुछ समय से बृजभूषण शरण सिंह लगातार सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे थे और अखिलेश यादव को ‘छोटा भाई’ कहकर भाजपा नेतृत्व को असहज कर चुके हैं। साथ ही देवीपाटन क्षेत्र में ठेकों और सरकारी परियोजनाओं को लेकर उनकी पकड़ को लेकर सरकार पहले से ही सतर्क थी। यही नहीं, कई ठेके रद्द किए गए और अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया।
बृजभूषण शरण सिंह का सीधा अंदाज, अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और समाजवादी पार्टी की तारीफें – ये सभी बातें उनके और योगी सरकार के बीच दूरी की बड़ी वजह बनीं। यही वजह है कि अब जबकि चुनाव नजदीक हैं, उन्होंने कोशिश की कि दूरियां पाटी जाएं, लेकिन संकेतों से साफ है कि बात अभी बनी नहीं है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा बृजभूषण शरण सिंह को दोबारा साध पाएगी या यह राजनीतिक दूरी और गहराएगी। फिलहाल इस मुलाकात ने यूपी की सियासत को गर्म कर दिया है।