एक पत्रकार की नजर से राज ठाकरे- बृज भूषण शरण सिंह विवाद के नफा- नुकसान
👉 महाराष्ट्र नव निर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे को मराठी मानुष के मुद्दे पर समर्थन बढ़ेगा। उद्धव ठाकरे के सापेक्ष राज ठाकरे को मजबूती मिलेगी। भविष्य में महाराष्ट्र में बीजेपी को मनसे के रूप में मजबूत साथी मिल सकता है।
👉 उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।
👉 सांसद जी को अपनी क्षमता दिखाने का अच्छा मौका मिला है। दूसरे लोक सभा क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने का सुनहरा अवसर है।
👉 भगवान राम ने अपने वनवास काल मे विभिन्न स्थानों का भ्रमण करते हुए पूरे भारत को जोड़ने का कार्य किया, किन्तु इस विवाद से संयोजन के बजाय विभाजन ( क्षेत्र/भाषा) की संभावना बढ़ रही है।
👉 विधानसभा चुनावों में सांसद जी ने अपने भाषणों में कट्टर पंथियों पर तीखे प्रहार किये थे, किन्तु अब उत्तर भारतीयों का मुद्दा उठाकर मुस्लिम समाज(जो अधिक हैं) को पुनः अपने साथ जोड़ने की उनकी कवायद(संभवतः) परवान चढ़ सकती है।
👉 उत्तर भारतीयों का मुद्दा उठने से महाराष्ट्र में मराठी मानुष का मुद्दा फिर गरम हो सकता है। इससे भैया लोंगो(उत्तर भारतीए) के रोजी रोटी पर गलत असर पड़ सकता है।
👉 सांसद जी द्वारा मुख्यमंत्री जी को दी गयी सलाह (राज ठाकरे द्वारा माफी न मांगे जाने पर उनसे न मिलने ) एक तरफ कुंआ एक तरफ खाई वाली स्थिति हो गयी है। अगर मिले तो उत्तर भारतीयों का अपमान न मिलें तो हिंदुत्व के एक प्रखर नेता का अपमान ।
👉 इस विवाद से सांसद जी और राज ठाकरे दोनो को राजनैतिक लाभ की संभावना ज्यादा है।