- शिक्षक रघुनाथ पाण्डेय शिलांग में हुए सम्मानित
मेघालय की राजधानी शिलांग में सम्पन्न राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन में गोण्डा के शिक्षक और साहित्यकार रघुनाथ पाण्डेय को उनके विशिष्ट साहित्यिक-शैक्षिक योगदान के लिए केशरदेव बजाज सम्मान से नवाजा गया।
पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी के तत्तवावधान मे आयोजित सम्मेलन के मुख्य अतिथि मेघालय सरकार के श्रममंत्री सनबोर शुलाई ने कहा कि देश मे प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस जरूरत है कि दबी-छिपी प्रतिभाओं को उभरने के अवसर प्रदान किये जायं। मुख्यवक्ता शिक्षा विभाग के सचिव/ आयुक्त ब्रह्मदेव राम तिवारी ने कहा कि वास्तव में ऊर्जावान प्रतिभा को सम्मानित करने से उस सम्मान का भी दर्जा ऊंचा उठ जाता है। इस अवसर पर देशभर के 18 राज्यों से पधारे साहित्यकारों को स्मृति चिह्न,शाल,नेपाली गमछा, प्रमाणपत्र व पत्रिका देकर सम्मानित किया गया।अकादमी के सचिव अकेलाभाइ के संयोजन मे त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मिजोरम विश्वविद्यालय के डीन डाॅ सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि हिंदी तो हम सबकी राजभाषा है ही, आवश्यकता है कि भारतीय संविधान में सूचीबद्ध सभी 22 भारतीय भाषाओं का भरपूर सम्मान और विकास किया जाय, पारस्परिक अनुवाद को बढ़ावा मिले। आकाशवाणी की उद्घोषिका अरुणा उपाध्याय के संचालन में हुए सम्मेलन की अकादमी के अध्यक्ष विमल बजाज, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी, उद्योगपति शंकरदेव, टिबरीवाल, समाजसेवी ओमप्रकाश अग्रवाल आदि ने कहा कि हिन्दी विकास सम्मेलन का सिलसिला जारी रहना चाहिए। इस अवसर पर डाॅ दिलीप अवस्थी, डाॅ आर डी शुक्ल, शान्ति कुमार स्याल, मनोज मोदी, वाणी बरठाकुर, मधु शंखधर, योगेश दुवे, पंकज शर्मा, जान मोहम्मद समेत अनेक सक्रिय हिन्दीसेवियों को शिखर सम्मान, बजाज सम्मान, महाराजकृष्ण जैन सम्मान, महावीर टिबरीवाल सम्मान आदि से सम्मानित किया गया। सम्मेलन में अलग-अलग सत्रों में विचारगोष्ठी, कविगोष्ठी, संगीत संध्या भी सम्पन्न हुई।
शिक्षक रघुनाथ पाण्डेय को शिलांग में मिले इस सम्मान पर पूर्व शिक्षा निदेशक डाॅ कृष्णावतार पाण्डेय, अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप, जिला विकास अधिकारी, सहायक शिक्षा निदेशक विनयमोहन वन, डायट प्राचार्य अतुल कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षाधिकारी अखिलेश प्रताप सिह, जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार, पूर्व प्राचार्य एमपी सिह, मनोहरलाल, डाॅ सूर्यपाल सिह, प्राचार्य धर्मेन्द्र शुक्ल, डाॅ शैलेन्द्र मिश्र, अशोक पाण्डेय ने बधाई दी है।
अखिल भारतीय संगोष्ठी मे विशिष्ट वक्ता बन गौरव बढाया
पूर्वोत्तर भारत की भाषाओं पर आधारित अखिल भारतीय संगोष्ठी मे विशिष्ट वक्ता बनाये गये शिक्षक रघुनाथ पाण्डेय ने प्रदेश का नाम रोशन किया । मेघालय की राजधानी मे आयोजित कार्यक्रम मे ‘पूर्वोत्तर की भाषाएं और हिन्दी का विकास’ विषय पर मंच से सैकडो विचारको को सम्बोधित करते हुए विशिष्ट वक्ता डाॅ रघुनाथ पाण्डेय ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत मे भाषायी बहुलता और वैविध्य है। लेकिन अधिकांश भाषाएं मात्र वाचिक रूप मे प्रचलित है। हिन्दी वाले अपनी देवनागरी लिपि देकर इन भाषाओ को मृतप्राय होने से बचा सकते हैं। डाॅ एस के शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे सभी भारतीय भाषाओ मे तालमेल और अच्छी पुस्तको के परस्पर अनुवाद पर बल दिया। संगोष्ठी मे मुख्य अतिथि शांति कुमार स्याल के अलावा डाॅ विजय प्रताप श्रीवास्तव डाॅ मदन मोहन डाॅ दिलीप अवस्थी डाॅ आर डी शुक्ल आदि ने भी अपने शोधपत्र का प्रस्तुतीकरण किया।
साहित्यकार शिक्षक रघुनाथ पाण्डेय के संपादन में पूर्वोत्तर की भाषा-सम्पदा नामक शोधग्रंथ का विमोचन पूर्वोत्तर भारत के स्काॅटलैण्ड कहे जाने वाले शिलांग शहर स्थित श्री राजस्थान विश्राम भवन में किया गया।
पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के तत्वावधान में प्रकाशित उक्त शोधग्रंथ का विमोचन मेघालय के पुलिस महानिदेशक एल आर बिश्नोई और उद्योगपति विमल बजाज ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर आयोजित विशाल समारोह में उपस्थित देशभर के 122 साहित्यकारों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एल आर विश्नोई ने कहा पूर्वोत्तर भारत में लगभग 200 से अधिक भाषाएं जीवित है किंतु इनका विकास अवरुद्ध है असमिया नेपाली बांग्ला भाषा को छोड़कर शेष भाषा से पूरा भारत परिचित नहीं है अपने राज में भी इनके बोलने वालों की संख्या अत्यल्प ही है। ज्यादातर भाषाएं या तो संकटग्रस्त हैं अथवा लुप्तप्राय होने की स्थिति में है। विदेशी भाषा अंग्रेजी इनको लील लेने को आतुर है। इन भाषाओं के रक्षार्थ देवनागरी लिपि का संरक्षण मिलना चाहिए। विमोचन के दौरान अकादमी के सचिव डॉ डॉक्टर अकेला भाई ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के भाषाई परिदृश्य का गहन अध्ययन किए जाने के उद्देश्य से इस पुस्तक का संपादन और प्रकाशन किया गया है। पुस्तक में भारतीय भाषा परिवार की विभिन्न शाखाओं समेत पूर्वोत्तर भारत के सभी आठों राज्यों की भाषाओं का राज्यवार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिससे पूर्वोत्तर भारत की भाषाओं का अध्ययन करने वाले छात्रों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों को इस पुस्तक में एक ही जगह समस्त सामग्री उपलब्ध हो जाएगी। निखिल प्रकाशन आगरा से मुद्रित 200 पृष्ठ की इस पुस्तक में कुल 38 आलेख हैं, जिनमें से ज्यादातर आलेख पूर्वोत्तर भारत के लेखकों, विद्वानों द्वारा ही लिखे गए हैं, इसलिए आलेख में दिए गए तथ्य और संदर्भ भौतिक रूप से प्रामाणिक होने के साथ-साथ सटीक भी हैं। पद्मश्री डाॅ विद्याबिन्दु सिह, डाॅ मनोज पाण्डेय, डाॅ वीरेन्द्र परमार, डाॅ सुनील कुमार, डाॅ राजवीर सिह, डाॅ दीपक पाण्डेय, प्रो मोहसिन खान, प्रो सुखदा पाण्डेय, डाॅ पण्डित बन्ने, डाॅ प्रदीप त्रिपाठी, डाॅ दिनेश साहू, डाॅ छुकी भूटिया, डाॅ जोराम यालाम , मोर्जुम लोई, छुकी लेप्चा आदि राष्ट्रस्तरीय विद्वानो, साहित्यकारों ने पुस्तक को उत्कृष्टता प्रदान करने में डॉ रघुनाथ पाण्डेय और डाॅ दिलीप अवस्थी के संपादकीय श्रम की सराहना की है। पुस्तक की भूमिका अकादमी के सचिव डॉ अकेला भाई ने लिखी है।