करनैलगंज(गोंडा) पित्र दिवस के उपलक्ष में सरस्वती साहित्य समिति के तत्वाधान में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन नगर के चित्रगुप्त इंटर कॉलेज परिसर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार भगवान बक्स सिंह रत्न एवं संचालन कवि राम कुमार मिश्रा कुमार ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कभी जयदीप सिंह सरस ने पढ़ा- है बड़भाग यहै हमारौ हमैं आपके नाम से नाम मिला, तीनहु लोक है आपहि मा हमेंआपका चारित्र धाम मिला। कभी कृष्ण कुमार सिंह दीप ने पढ़ा- जाति धर्म भाषाओं का मौसम सतरंगा हो जाए, इंद्रधनुष यदि बने लेखनी धन्य तिरंगा हो जाए। कभी गोपी नाथ मिश्रा मधुकर ने पढ़ा- विश्व पटल पर हिंदी वर्चस्व बढे़े दिन रात, हिंदी के आंगन नित नव खिलता रहे प्रभात। कवि अवध राज वर्मा करुण ने पढ़ा- कर्म जैसा होगा जीवनगढ़ जाएगा, रंग जीवन पर वह गाढ़ा चढ़ जाएगा। साहित्यकार भगवान बक्स सिंह रत्न में पढ़ा- असत असत है सत्य है बस ईश्वर सर्वज्ञ, निर्विकार निर्मित वह शक्तिमान सर्वज्ञ। कभी राम कृष्ण लाल ने पढ़ा- चांद सितारे अवनी अंबर करते जिसका अभिनंदन, पंच रचित काया लेकर बार-बार करता नमन। हजारी लाल निषाद ने पढ़ा- लल्ला के संग संग मैं खेलूं अंगना, मेरा आ गया फिर से बचपना। विजय कुमार सिंह पप्पू ने पढ़ा- श्रधेय देशमुख नाना की यह धरती बड़ी सुहागन है, जयप्रभा ग्राम के मंदिर में एक धाम बना अति पावन हैं। कवि सन्तराम सिंह सन्त ने पढ़ा- कुछ खाव कुछ बनिया को बेंचो, चौबीस करीब है कुछ न सोंचो, ठेकी पर जाय पियो दारू, चौराहे पर गिरौ परौ, सन्डऊ अब तुम खूब चरौ। रामकुमार मिश्रा कुमार ने पढ़ा कि- आम गवा अमझोरा गवा फरेंद के पेड़ नही दिखरावे, न महुआ महुवारी दिखे, न सतुआ कोई घोर पियावे। इस काव्य गोष्ठी में चित्रगुप्त इंटर कॉलेज के तमाम शिक्षक छात्र एवं श्रोता उपस्थित रहे।