मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन

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Gonda उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं माननीय जनपद न्यायाधीश महोदय श्री रविन्द्र कुमार-। के आदेशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव श्री विश्व जीत सिंह की अध्यक्षता तथा डाॅ0 रश्मि वर्मा मुख्य चिकित्साधिकारी की उपस्थिति में जिला अस्पताल गोण्डा में मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम एवं मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर में सचिव द्वारा अपने सम्बोधन में जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने विश्व के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य देखभाल हेतु वर्ष 1992 में इसकी स्थापना की थी। विश्व मानसिक दिवस विश्व के बदलते परिदृश्य में वयस्क और मानसिक स्वास्थ्य पर केन्द्रित है। किशोरावस्था और वयस्कता के शुरूआती वर्ष जीवन का वह समय होता है, जब कई बदलाव होते हैं, जैसे स्कूल बदलना, घर छोड़ना तथा कालेज, विश्वविद्यालय या नई नौकरी शुरू करना। कई लोगों के लिए यह रोमांचक समय होता है तथा कुछ मामलों में यह तनाव व शंका का समय होता है। कई लाभों के साथ आनलाइन प्रौद्योगिकियों का बढता उपयोग मानसिक रोग उत्पन्न कर सकता है। किशोरों में अल्कोहल एवं मादक पदार्थों का हानिकारक उपयोेग प्रमुख समस्या है। यदि इनका उपचार नही किया जाता है तो ये स्थितियां बच्चों के विकास, शिक्षा तथा उनके जीवन की अपेक्षायें पूरी करने और जीवन की उत्पादकता की क्षमता को प्रभावित करती हैं। भारत सरकार एवं राज्य सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता व पंहुचनीयता सुनिश्चित की ओर बढना है। 10 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की गयी तथा भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 लाया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत किशोरावस्था प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम वयस्कों से सम्बन्धित स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करता है।
डा0 आदित्य वर्मा अपर मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि मानसिक रोगों में प्रायः कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें मनोभ्रंश के लक्षण, अवसाद के लक्षण, ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार के लक्षण, जुनूनी बाध्यकारी विकार के लक्षण, द्विध्रुवी विकार के लक्षण, स्वलीनता के लक्षण, मनोविदलाता के लक्षण, दुश्चिंता के लक्षण, अभिघातज के बाद का तनाव विकार के लक्षण प्रतीत होते हैं।
इस अवसर पर मनोचिकित्सक डा0 नूपूर पाल, मनोसामाजिक कार्यकर्ता उमेष कुमार आदि अन्य कर्मचारीगण के साथ जनसमूह उपस्थित रहे।

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