महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के सम्मान में बना गाँव का प्रवेश द्वारा, लोकार्पण के दौरान लोगों की आँखे हुई नम

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India UP गोण्डा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई ऐसे क्रन्तिकारी वीर थे जिन्होंने अपना तन मन धन सब न्योछावर कर भारत को आज़ाद कराने वाले क्रांतिवीरों का नाम भारत की आज़ादी के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। भारत की आजादी के लिए क्रांतिवीरों द्वारा समय-समय पर अनेकों आंदोलन किये गए,आजादी के खातिर जेल की यातनाएं सही,। और इन्ही स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत 15 अगस्त 1947 को हमारा देश भारत आज़ाद हुआ। जिसके लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना लहू बहाया है और अपनी वीरता का परिचय दिया।

इन्ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में एक नाम अब्दुल खालिक खाँ का है जो जंगे आजादी में एक क्रन्तिकारी सिपाही,होने के साथ साथ गंगाजमुनी तहजीब,एक विद्वान समाज सुधारक और मानवता की मिशाल थे, इनका जन्म 1-जून -1921 गोंडा जिले के हलधरमऊ मैजापुर के मुख्तारगंज गाँव में हुआ , और राष्ट्र सेवा व समाज सेवा के दौरान 3-मार्च -1994 को दुनिया को अलविदा कह दिया,।

अब्दुल खालिक खां अंग्रेजी फौज में रंगून (मियांमार) में तैनात थे 1944 में जब नेता जी सुभाष चन्द्र बोष रंगून पहुंचे और भारतीयों से अंग्रेजी फौज से विद्रोह का आवाहन किया तो अब्दुल खालिक खां अंग्रेजी फौज से विद्रोह कर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए और आजादी मिलने तक संघर्ष करते रहे,और देश आजाद होने के बाद अपने गाँव वापस चले आए। आजादी मिलने के बाद अब्दुल खालिक खाँ ने मैजापुर में कारखाने लगाये और कारोबार में हाथ आजमाया,उसके बाद उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आपसी भाईचारा सदभाव बढ़ाने व इंसानियत की भलाई के नाम पर समर्पित कर दी।

अब्दुल खालिक खां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्म के पुस्तकों के ज्ञाता थे, और देश और दुनिया को जानने और देश दुनिय में घट रहे घटना क्रम की जानकारी की बड़ी उत्सुकता रहती थी और उस पर नजर रहती थी और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते थे। राष्ट्रपति जाकिर हुसैन से बहुत ही अच्छे रिश्ते थे आज भी उनके द्वारा हाथ से लिखे खत जो राष्ट्रपित भवन से जारी होते थे वह भी महफूज रखा है।

उन्होंने लगभग देश के हर हिस्से का दौरा किया कश्मीर उनका पसंदीदा जगह थी, साथ ही मिडिल ईस्ट के लगभग सभी अरब देशों,मिस्र,ईरान,ईराक,सीरिया,सऊदी अरबिया आदि का दौरा किया और वहां के कुछ हुक्मरानों से भी मुलाकात किया,जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति सदर नासिर से खत किताबत होती रहती थी उनके हस्तलिखित खत आज भी मौजूद हैं।

जब अमेरिका और वियतनाम के बीच युद्ध 1955-1975 नही रुक रहा था तमाम इंसानी जानें जा रही थीं तब अब्दुल खालिक ने अपने तमाम साथियों को बुलाया प्रधान दुर्गा सिंह जी,पण्डित बसंतलाल,ध्रुवराज सिंह,मगन सिंह प्रधान, रऊफ बाबा, आदि को बुलाया और शांति प्रस्ताव लिखा गया जिसमें सैकड़ों लोगों के दस्तखत हुए जिसकी ड्राफ्टिंग प्रधान मगन सिंह जी ने की जो आज भी जीवीत हैं, इस प्रस्ताव को बजरिये डाक सन्युक्त राष्ट्र संघ भेजा गया सन्युक्त राष्ट्र की आम सभा में उस प्रस्ताव को पढ़ा गया और संयुक्त राष्ट्र के मिनट बुक में दर्ज किया गया।

आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल खालिक के सम्मान में उनके गाँव हलधरमऊ मुख़्तारगंज गाँव पर एक भव्य प्रवेश द्वारा बनाया गया जिसका लोकार्पण उनके पौत्र मसूद आलम खाँ व पूर्व जिलाधिकारी राम बहादुर व डॉ मोहम्मद सादिर खाँ ने किया, इस मौके पर उनके साथ आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम अचल दूबे,मगन सिंह प्रधान,सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे, इस मौके पर पूर्व जिलाधिकारी राम बहादुर ने कहा कि 2011 के बाद एक ऐसा कार्यक्रम था जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के लिए जो सम्मान दिया गया उससे मेरा सर ऊँचा हो गया,। वही इस मौके पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पौत्र मसूद आलम खान ने कहा तन मन धन और परिवार को त्याग कर दादा जी का आजादी के लिए जंग लड़ना और तबतक लड़ते रहना जबतक देश आजाद नहीं हो गया,यह हमारे लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है,आजादी के बाद उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आपसी भाईचारा सदभाव बढ़ाने व इंसानियत की भलाई के नाम पर समर्पित कर दी।यही हम लोगों के प्रेरणा है, जिसे हम सभी आत्मसात करते हैँ, इस मौके गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुए डॉ सादिर खाँ साहब और मसूद आलम खाँ और पूर्व जिलाधिकारी राम बहादुर ने शहीद के परिवारों को सम्मानित किया, साथ ही सैकड़ों गरीबों असहयों को होली का उपहार देकर उन्हें भी सम्मानित किया गया, इस कार्यक्रम में जहाँ लोग अभिभूत हुए वहीं गरीबों के चेहरे भी मुस्कान से खिल उठे।

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