नारी तुम हो कितनी महान ,इस धरती का हो गौरवगान
कल्पना तिवारी
नारी तुम हो कितनी महान
इस धरती का हो गौरवगान,
जग को जीवन देने वाली
तुमसे ही है यह कायनात।
फूलो की कोमल छाया सी
ममता की पावन मूरत हो,
जग के कण- कण मे बसी हुई
सृष्टि की तुम्ही जरूरत हो।
गार्गी, मैत्रेयी,घोषा तुम,
सती अनुसुईया माता हो
सत्यवान की सावित्री तुम हो
भारत की गौरव गाथा हो।
आंगन की शीतल तुलसी तुम
तुम ही तो पावन गंगा हो,
पन्नाधाय का साहस तुम
तुम ही रानी चेनम्मा हो।
जीजाबाई सी माता तुम
पद्मावती राजपुतानी हो,
दिल्ली की रजिया सुल्ताना
लक्ष्मीबाई मर्दानी हो।
नारी तुम तो भूगौरव हो
सृष्टि का हो आधार तुम्ही,
नभ,जल,थल भूमंडल मे
धरती का हो श्रृंगार तुम्ही।
कल्पना का बलिदान है तुममे
विलियम की ऊंचाई है,
टेरेसा का वात्सल्य हो तुम
इंदिरा की गहराई हो।
कर्णम की ताकत है तुममे
मैरी का विश्वास हो तुम,
ऊषा की रफ्तार तुम्ही
एक नवयुग का आगाज हो तुम।
तेरे जज्बे तेरे साहस को चन्द्रलोक भी जान गया,
तेरे कदमो की आहट को
सागर भी पहचान गया।
इतिहास का पन्ना- पन्ना
तेरी महिमा को दोहराता है,
धरती का जर्रा- जर्रा तेरे साहस के गुण गाता है।
स्व रचित रचना
कल्पना तिवारी
सहायक अध्यापक
प्रा वि महेशपुर ,नवाबगंज
गोंडा