- चंद दिन होगी अभी तुलना तेरी हजरात में।
फिर बनेगा ध्रुव सितारा कालिमा की रात में।
और फिर ब्रह्मांड का हर सूरमा इति शांत होगा।
तू स्वयं भगवान होगा केश रजनीकांत होगा।
सत्य है पीकर रुधिर मैं लौट आया भीड़ से।
मत समझना मौन हूँ खोकर चिड़ी इस नीड से।
हमने अपने पूर्वजो का न भूला इतिहास है।
आज भी सम्राट की अभिमान वही घास है।
आज भी छत्रिय की नसें फूलती है ज्वार सी।
भौहे भी तिलमिल भमकती है सखे तलवार सी।
आज भी ब्राह्मण में परशुराम जब होकर गुजरते।
रक्त से स्नान करकर रक्त से सजते सवरते।
जिसने मेरे भाइयों का रक्त सरयू में बहाया।
जिसने हिन्दू की जमीनो पर अभी कब्जा जमाया।
जो अपनी संख्या को बढ़ाकर चाहते इस देश को।
हम सभी पहचानते वह कालनेमि भेष को।
अब गजवा ऐ हिन्द का सपना नही साकार होगा।
गलियों और बस्ती मोहल्लो में नही आकर होगा।
अब अगर होगा तो आदित्यनाथ का सरकार होगा।
जिसके पुरखे नागरिक हो उनका ही अधिकार होगा।
मांगते है अधिनियम कानून हमको दान दो
और मथुरा के भवन निर्माण का अनुदान दो
–आशुतोष प्रताप सिंह