इंडियन बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, गोण्डा द्वारा प्रायोजित जूट प्रोडक्ट उद्यमी प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह
गोण्डा इंडियन बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान गोण्डा द्वारा 13 दिवसीय जूट प्रोडक्ट उद्यमी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 06/05/2022 से वजीरगंज ब्लॉक के रमचेरा ग्राम पंचायत मे चल रहे जूट प्रोडक्ट उद्यमी प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन आज दिनांक 20/05/2022 को इंडियन बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान सुभागपुर, गोण्डा में सम्पन्न हुआ, इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री गौरव कुमार, मुख्य विकास अधिकारी गोण्डा, श्री एन॰ बी॰ सविता, उपायुक्त स्वतः रोजगार, अंशुमान तिवारी, डी॰ एम॰एम॰, एन॰आर॰एल॰एम॰, श्री तरुण कुमार शुक्ल, संस्थान निदेशक, श्री मोजम्मिल आज़म सिद्दीकी, कार्यालय संकाय, श्रीमती शकुन्तला सिंह, अतिथि संकाय, व संस्थान के सभी कर्मचारी उपस्थिति रहे| विभिन्न ब्लॉको की 25 स्वयं सहायता समूह की महिलाओ ने सफलता पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया, प्रशिक्षुओ ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथि स्वागत किया| कार्यक्रम का संचालन श्री मोजम्मिल (कार्यालय संकाय) ने शुरू किया,
मुख्य विकास अधिकारी, ने प्रशिक्षुओ को सफलता पूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए बधाई दी, प्रशिक्षुओ से उनका परिचय लिया,उनके द्वारा तैयार कि गई वस्तुओ का निरीक्षण किया, निरीक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षु जूट प्रोडक्ट उद्यमी के एक सफल प्रशिक्षु के रूप मे दिखे | आगे मुख्य विकास अधिकारी महोदय ने जीवन यापन के लिए अर्थ कि क्या उपयोगिता है इस पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षुओ को स्वरोजगार करने हेतु प्रेरित किया व मार्केटिंग एवं स्वरोजगार स्थापित करने के टिप्स दिए कि कैसे कम समय मे सफलता पूर्वक रोजगार स्थापित करके स्वयं को स्वावलम्बी बनाया जा सकता है |
श्री शुक्ल ने जूट प्रोडक्ट उद्यमी प्रशिक्षण चलाए जाने के कारण बताते हुए विभिन्न बिंदुओ पर प्रकाश डाला, जूट बैग का उपयोग अस्तित्व में आया क्योंकि वे बायोडिग्रेडेबल हैं और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। जूट बैग अधिक टिकाऊ, वजन में हल्के, स्टाइलिश, मजबूत होते हैं जिसके कारण इन जूट बैगों का उपयोग मुख्य रूप से पैकेजिंग के लिए और सीमेंट, कृषि उत्पादों, रेत, ग्लोसरी उत्पादों आदि के वहन में भी किया जाता है। आजकल डिजाइनर जूट बैग हैं। मुख्य रूप से खरीदारी, पाठ्यपुस्तक, वाहक बैग, कई अन्य, आदि के लिए उपयोग किया जाता है। जूट बैग की पर्यावरण के अनुकूल प्रकृति के बारे में जागरूकता के कारण जूट बैग की मांग में वृद्धि हुई है; यहां तक कि बच्चे भी जूट के इन थैलों का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि वे प्रकृति में इनके महत्व को समझते हैं। यही मुख्य कारण है कि जूट बैग बनाने का व्यवसाय प्रसिद्ध है। इन्ही व्यवसाय की बदती हुई माँग को देख कर आप लोगो को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है क्योंकि इसके लिए केवल एक छोटे से निवेश की आवश्यकता होती है। खासतौर पर गृहिणिया अपने खाली समय का उपयोग करके आत्म निर्भर बन सकती है क्योंकि वे घर से भी इस व्यवसाय को कर सकती है, आगे श्री शुक्ल ने बताया कि जूट बैग की बड़ती हुई माँग को देखते हुए यह निश्चित है कि आप लोग जूट प्रोडक्ट उत्पादन मे अपना व्यवसाय शुरू कर आत्म निर्भर बन सकती है, इन्ही शब्दो के साथ श्री शुक्ल ने अपनी वाणी को विराम दिया |
श्री एन॰ बी॰ सविता (उपायुक्त स्वतः रोजगार), जी ने प्रशिक्षुओ को बधाई दी, अर्थ का महत्व बताते हुए, सभी प्रशिक्षुओ को स्वावलम्बी बनने की सलाह दी |
श्री अंशुमान तिवारी (बी॰एम॰एम॰, एन॰आर॰एल॰एम॰), जी ने प्रशिक्षुओ को बधाई दी, प्रशिक्षण के दौरान सीखे हुए विषय के बारे मे पूछा, उदाहरणों के माध्यम से जीवन मे अर्थ का महत्व बताते हुए प्रशिक्षुओ को स्वरोजगार करने हेतु प्रेरित किया|
अन्त मे श्री गौरव कुमार,मुख्य विकास अधिकारी, ने प्रशिक्षुओ को प्रमाण पत्र वितरित कर शुभकामना दी |
भवदीय
निदेशक, आरसेटी,गोण्डा