आकाशवाणी के कवि शिक्षक शेर बहादुर सिंह लहरी का हुआ निधन

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करनैलगंज(गोंडा)। पूर्व में आकाशवाणी के कवि व सेवानिवृत्त शिक्षक शेर बहादुर सिंह लहरी का बुधवार को निधन हो गया। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। क्षेत्रवासियों, साहित्यकारों, शिक्षकों ने श्रद्धांजलि देते हुए संवेदनाएं व्यक्त की है। तहसील करनैलगंज क्षेत्र के फतेहपुर कोटहना गाँव निवासी वयोवृद्ध प्रसिद्ध कवि व पूर्व अध्यापक शेर बहादुर सिंह लहरी 85 वर्ष का मंगलवार शाम को निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य जगत सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। बहुत ही सादगी पसन्द, सरल व खुशमिजाज व्यक्तित्व के धनी शेर बहादुर सिंह सरयू की कछार में स्थित फतेहपुर कोटहना गांव में पैदा होकर पूरे जीवन शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा में लगे रहे। दो दशक पूर्व तक आकाशवाणी चैनल पर उनके काव्यपाठ रिलीज होते थे। उनकी कविता “बसा रे भैया गौंवा मईहा देशवा हमार” बेहद चर्चित रही। एक कर्मठ व ईमानदार शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए वर्ष 2002 में जूनियर विद्यालय लालेमऊ से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए। अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने समाज मे फैली कुरीतियों, भ्रष्टाचार, अन्याय के खिलाफ गांव गरीब की आवाज बनकर शासन प्रसाशन को हमेशा चेताने का काम किया। उन्हें लोग बड़े सम्मान के साथ लहरी जी के नाम से सम्बोधित करते थे। साहित्य जगत में उनका बड़ा नाम था। गांव जवांर व जिला ही नहीं बल्कि देश व प्रदेश के बड़े काव्य मंचो पर भी उनका अलग स्थान रहता था। अपनी व्यंगात्मक काव्य शैली के लिये वह कई बार छोटे व बड़े मंचो पर सम्मानित हुए। लम्बे अरसे से अस्वस्थ चल रहे माँ सरस्वती के इस अमर पुत्र ने मंगलवार शाम को अंतिम सांस लेकर दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से साहित्य जगत सहित पूरे क्षेत्र में शोक व्याप्त है। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव स्थित सरयू तट पर किया गया। उनके निधन से आहत योगेंद्र सिंह योगी, सन्तराम सिंह, अब्दुल गफ्फार, अवधेश सिंह, दिनेश कुमार सिंह, डीपी सिंह राठौर, मान सिंह, प्रमोद सिंह, हर्षित सिंह, विवेक सिंह, देवेंद्र सिंह, संतोष सिंह, अमरेंद्र सिंह, सत्यम सिंह, याक़ूब सिद्दीकी अज्म गोंडवी सहित तमाम लोगों ने दुःख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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