व्यंग्य काव्य

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( जव तू हमका वोट न दियबौ )

जव तू हमका वोट न दियबौ
तौ हम चोटि गहिर पहुंचाइब
तोहरेन हाथेम् हंसिया दइकय
खेतेम् ठाढि फसलि कटुवाइब
मामूली इ बैर न जानेउ
की हम छिनै घरिम बिसराइब
आज न सही मुला काल्हि हम
लौउट यही कुरसी पय आइब
जव तु हमका वोट न दियबौ
तव हम चोट………….!

सरी अनाज गोदामन मा मुल
तुहंका दानन का तरसाइब
तोहरे घर के बिजुरी पानिक्
लाखन मा चिट्ठा पठुवाइब
यक यक नयी योजना से हम
तुहंका हेरि हेरि हंटुवाइब
जव तू हमका वोट न दियबौ
तव हम चोट………..!

पीढिन का न मिली नोकरी
डिगरिन पय कांटा मरुवाइब
यक यक घर मा भाइन बीचेम्
नफरत कै खाईं खनुवाइब
जात पात कै जहर घोरि कै
यक दिन पूरा देस जराइब
जव तू हमका वोट न देबौ
तव हम चोट…………!

जेतनी अंइठन चढ़ी है तुहंका
मजे मजे नस नस ढिलुवाइब
अंगुरी पय फूला घूमत हौ
रुका रहौ पंजै कटुवाइब
घर कुरिया तक फरजी कयि कै
सडकी पय तुहंका लयि आइब
जव तू हमका वोट न दियबौ
तव हम चोट गहिर पहुंचाइब !!

( संजय श्रीवास्तव अवधी )
मनकापुर गोंडा

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