वरना बच नहीं सकता हिंदू-हिंदुस्तान

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संजय तिवारी

हमें यादव से क्या मतलब,
हमें पंडित से क्या गफलत,
हमें मल्लाह,मौर्या, वैश्य से,
कोई नहीं नफरत।

दलित भाई हमारे हैं,

सभी कुर्मी दुलारे हैं,

कोई अगड़ा हो या पिछड़ा
सभी आंखों के तारे हैं।

सनातन के जो अनुगामी,
सभी मोती पिरोना है,
करे जो हममें बंटवारा,
‘भिगोकर’ उनको धोना है।

बांग्लादेश को देखो,
पाकिस्तान को देखो,
अफगानिस्तान में क्या है,
तनिक तुम ध्यान से देखो।

जहां हिंदू नहीं भाई,
नहीं भ्राता हैं ईसाई,
बचे हैं सिक्ख कितने अब
बचेगी अब न परछाई।

हमें बंटवा रहे हैं ये,
हमें घटवा रहे हैं ये,
दलित-यादव को मिलवाके
हमें कटवा रहे हैं ये।

हमारी जान हैं हिंदू
हमारी शान हैं हिंदू
बॅंटेंगे वोट की खातिर
बहुत नादान हैं हिंदू।

वो धमकी दे रहे हैं,
तुम कहां जाओगे रे हिंदू?
अभी जागे नहीं तो
बहुत पछताओगे रे हिंदू!
जो चिड़िया चुग गई तो,
कुछ नहीं पाओगे रे हिंदू।
किसी मस्जिद में जाके
खतना करवाओगे रे हिंदू!

हजारों साल से हैं हम,
ये गफलत तोड़ दें हिंदू।
न हिन्दू मिट सकेगा,
ऐसे भ्रम को मोड़ दें हिंदू।
हुए चालीस प्रतिशत वो,
बचा कोई न पाएगा।
जो सेकुलर की बिमारी है,
उसे अब छोड़ दें हिंदू।

यहां हिंदू अधिक हैं ,
तब तलक अरमान बचा है।
यहां हिंदू हैं बहुमत में,
तो संविधान बचा है।
यहां हिंदू अधिक हैं
तो ही स्वाभिमान बचा है।
यहां हिंदू अधिक हैं
तो ही हिंदुस्तान बचा है।

कसम गंगा की है तुमको,
कसम है राम की तुमको,
कसम है बुद्ध की तुमको,
कसम घनश्याम की तुमको,

सनातन को बचा लीजै,
पुरातन को बचा लीजै,
सभी मतभेद को छोड़ो,
वतन को अब बचा लीजै।

मोती की माला बने, भ्रम छोड़ो श्रीमान
वरना बच सकता नहीं, हिंदू-हिंदुस्तान

 

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