आंदोलित आशा कर्मचारियों पर एस्मा लगाना हरियाणा सरकार का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर

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गोंडा। हरियाणा में आंदोलित आशा वर्कर्स पर एस्मा लगाया गया है, जबकि वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। वे इस मांग पर संघर्ष करती रही हैं कि उनके काम को बुनियादी सर्विसेज़ में गिना जाए और उसके अनुसार ही मेहनताना व सेवा -शर्तें तय की जाएं। यह बात सरकार वर्षों से चले आ रहे आन्दोलन के बावजूद मान नहीं रही थी और अब उन्हें गिरफ्तार करने, केस बनाने और आन्दोलन को कुचलने की नियत से

लाभदायी योजना’ को एसेन्शियल सर्विस यानि बुनियादी सेवा मान लिया गया है। एक ही कार्यक्षेत्र को सरकार सज़ा देने के लिये बुनियादी सेवा और श्रम का हक़ मारने के लिये ‘लाभदायी योजना’ में गिन सकती है। यह ग़ैरज़िम्मेदारी यानि सरकार की मनमानी का एक नमूना है । सीआईटीयू राज्य कमेटी सदस्य कामरेड कौशलेंद्र पांडेय ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ध्यान देने की बात ये है कि जिन मांगों को मानने की घोषणा 2018 में मुख्यमन्त्री और स्वास्थ्य मन्त्री विधान सभा में कर चुके थे वह इतने समय तक लागू नहीं की और 75दिन की हड़ताल व महापड़ाव की वार्ता के दौरान सरकार का कहना है कि वह घोषणा तो “आवेश ” में कर दी गई थी। अब सरकार को अपने साख की चिंता भी नहीं रह गई।
कामरेड कौशलेंद्र ने यह भी कहा कि
आंगनवाड़ी और आशा वर्कर व सहायिकाएं वे महिला कर्मचारी हैं जो सरकार की स्वास्थ्य, कुपोषण, जच्चा-बच्चा और गर्भवती महिलाओं व अनेक अप्रत्याशित समस्याओं के समय जारी योजनाओं को व्यवहार में उतारती हैं। मसलन करोना से जुड़े आंकड़े, सूचनाएं, सर्वे, टीकाकरण आदि के काम, सामान्य समय में भी उन पर अनेक तरह के अपरिभाषित काम रहते हैं। कुपोषण की शिकार गर्भवती महिलाओं, बच्चों को भी कुछ खाना और आयरन की गोलियां आदि देती हैं। हरियाणा में जहां स्त्री-पुरुष अनुपात बहुत ख़राब हाल में है वहां इन योजनाओं को उजाड़ने के काम करना आपराधिक मामला है। सरकार बहुत ग़रीब, कुपोषित ,स्वास्थ्य सेवाओं से दूर स्त्री और बच्चो के हित पर कैंची चला रही है। सच्चाई ये है कि केन्द्रीय बजट में दो साल पहले ही आई सी डी एस के बजट में तीस प्रतिशत कटौती की गई थी।
फ़िलहाल आन्दोलन के जुर्म में सैंकड़ों गिरफ़्तारियां, केस, धमकियां और घरों में पुलिस द्वारा तंग करने का सिलसिला जारी है जिसकी जितनी निंदा किया जाये वो कम है ।
कामरेड पांडेय ने कहा कि अभी एक हफ्ते पहले नोवारटिस फार्मा ने पूरे देश में काम कर रहे 400 मेडिकल रिपरजेंटेटिव को बर्खास्त कर दिया है और कमाल की बात है कि केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा कोई भी दखल नहीं दिया गया जिससे केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार की श्रम विरोधी नीतियाँ उजागर हो रही हैं। आगामी 28 – 29 मार्च 2022 को सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों कर्मचारियों व फेडरेशनों द्वारा अखिल भारतीय महा हड़ताल किया जायेगा।

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