भाजपा के विरोध के बीच करनैलगंज में सियासी मिठास
2024 में कैसरगंज लोकसभा से कुँवर शारदेंन मोहन सिंह लड़ सकते है चुनाव।
दिक्षिता मिश्रा
गोंडा। कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2007 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले के करनैलगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया।
वर्ष 1989 के चुनाव में करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र से कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था ।
करनैलगंज का क्षेत्र मूलरूप से गन्ने की मिठास व सरयू घाघरा नदी के पावन संगम सूकरखेत, पसका वाराह क्षेत्र के रूप में विख्यात है। इस पावन धरती पर महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्मभूमि राजापुर, गुरु नर हरिदास का आश्रम, श्रृंगी ऋषि आश्रम सिंगरिया, मां वाराही देवी मंदिर समेत विभिन्न पौराणिक व ऐतिहासिक स्थल हैं। करनैलगंज क्षेत्र के दायरे में कई छोटे-छोटे कस्बे, हॉट बाजार हैं। यहां पान, चाय, होटल से लेकर नाई की दुकान तक, गली गलियारे से खेत खलिहान तक, युवा, वृद्ध, महिला, पुरुष, नौजवान की जुबान पर राजनीतिक चर्चा जोरों पर है।
बताया जा रहा है कि कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया बरगदी कोट करनैलगंज के कुंवर कन्हैया कहे जाते हैं। इनको राजनीति विरासत में मिली है। इनके पिता कुवंर मदन मोहन सिंह 1967 में निर्दलीय चुनाव लड़े और अच्छे मतों से जीते थे। कुंवर अजय प्रताप सिंह लल्ला भैया ने भी पिता की तर्ज पर अपना राजनीतिक सफर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शुरू किया और चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। उस समय युवा वर्ग सबसे ज्यादा उत्साहित रहा है, जब लल्ला भैया सबसे कम उम्र के विधायक बने थे। लल्ला भैया वर्ष 1991 में भाजपा में शामिल हुए। 1993 में कुंवर अजय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए। 1996 में अजय प्रताप सिंह चुनाव लड़े और फिर जीते। वर्ष 2002 में भाजपा ने अंतिम समय पर टिकट दिया, क्योंकि वह बीमार थे इसलिए जनता के बीच जा नहीं पाए थे और कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया कुछ वोट से हार गए।
वर्ष 2007 में लल्ला भैया ने पाला बदल कर हाथी की सवारी कर ली। और अपनी बहन कुवंरि बृज सिंह को बसपा से जिताने में कामयाब रहे। लेकिन वर्ष 2012 के चुनाव में अजय प्रताप सिंह को फिर हार का सामना करना पड़ा और योगेश प्रताप सिंह सपा से चुनाव जीत कर उप्र सरकार में मंत्री बने, लेकिन बीच में ही बर्खास्त कर दिए गए। 2017 के चुनाव में अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया भाजपा से चुनाव लड़े और फिर जीत गये। अब बारी है 2022 की तो भाजपा से नाराज अजय प्रताप ने सपा प्रत्याशी योगेश का समर्थन कर दिया है।
इतना ही नहीं लल्ला भैया के पुत्र शारदेन मोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सपा से अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
बताते चलें वर्ष 1967 में मदन मोहन सिंह, वर्ष 69 में संसोपा से मंगल, वर्ष 74 में कांग्रेस से रघुराज प्रताप, वर्ष 77 में त्रिवेणी सिंह, उमेश्वर प्रताप सिंह वर्ष 80, 85 में कांग्रेस से जीते जबकि अजय प्रताप सिंह लल्ला भैया वर्ष 89, 91, 93 और 96 में विधायक बने। वहीं उमेश्वर प्रताप सिंह के पुत्र योगेश प्रताप सिंह 2002 में बसपा से जीते लेकिन सपा की मदद करने से टिकट काट कर अजय प्रताप की बहन कुंवर ब्रिज सिंह को टिकट मिल गया जिससे योगेश को चुनाव हारना पड़ा, लेकिन वर्ष 2012 में पुनः योगेश चुनाव जीत गए।
लेकिन 2017 में पुनः अजय प्रताप सिंह चुनाव जीत गये।