काम बूत बेमानी, जातीय गणित पर पूरा दारोमदा
ऊंट किस करवट बैठेगा हर जुबान पर टिकी कहानी
बगावत भी साध रही समीकरण
2012 व 2017 की तरह नहीं दिख रहा परिदृश्य
बगावत के सुर से कहीं सपा तो कहीं भाजपा मजबूत
मुस्लिम, ब्राह्मण व कुर्मी वोटरों पर डाले जा रहे डोरे
दिक्षिता मिश्रा
गोंडा। विधानसभा चुनाव 2022 में एक बार फिर विकास का मुद्दा गौड़ हो गया है। पश्चिम में हुए मतदान के बाद अब अवध क्षेत्र में भी विकास की बिसात पर चुनाव लड़ना कठिन होता जा रहा है। विकास, कानून व्यवस्था एवं राष्ट्रीय विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए सत्तारूढ़ दल ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी लेकिन चुनावी मैदान में ये मुद्दे बेकार साबित हो रहे हैं। धर्म और जाति में बंटे मतदाताओं की सुगबुगाहट ने कई सीटों पर खेल बना रहे हैं तो कई पर समीकरण बिगाड़ रहे हैं।
टिकट न मिलने पर कई दिग्गजों ने बागी रुख अपनाया है तो कई ने दिल व दल बदल कर चुनावी मैदान में में हैं। ये स्वयं जीतें या नहीं लेकिन पूरी गणित बिगाड़ रहे हैं।
तुलसीपुर और उतरौला सीट पर बगावत भर रही हुंकार
बलरामपुर जिले में चार सीटों पर छठे चरण में मतदान होना है। तुलसीपुर सीट से सपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रजवान जहीर व शिव प्रताप यादव को पार्टी ने इग्नोर कर दिया। एक घटना में एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व सांसद रिजवान जहीर ने अपने राजनीतिक कैरियर को बचाने के लिए अपनी बेटी जेबा रिजवान को निर्दल मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर भाजपा ने विधायक कैलाश नाथ शुक्ला को फिर मौका दिया है। लेकिन विरोध के स्वर के बीच बने नये समीकरण से घट बढ़ रही नब्ज अब स्थिर होती दिख रही है। सपा से पूर्व विधायक मसहूद को उतारा गया है। लेकिन उनके गले की हड्डी जेबा रिजवान साबित हो रही हैं। सपा से बगावत कर जेबा ने निर्दल ही ताल ठोक दिया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जेबा के पिता रिजवान जहीर मुस्लिमों के रहनुमा माने जाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार राकेश सिंह कहते हैं कि जेबा भले ही न जीतें लेकिन वह गणित बिगाड़ रही हैं। इसी तरह मुस्लिम व कुर्मी बाहुल्य सीट उतरौला पर भी बगावत की मार दिख रही है। उतरौला में भाजपा से विधायक राम प्रताप वर्मा फिर लड़ रहे हैं। सपा ने पूर्व विधायक आरिफ अनवर हाशमी का टिकट काट दिया और एक नये चेहरे हसीब खान को उतारा है। इस सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक धीरेन्द्र प्रताप सिंह धीरू को उतारा है। यहां भाजपा की दीवार में धीरू सेंध लगा रहे हैं तो सपा को पटखनी देने के लिए एम आई एम के प्रत्याशी डा मन्नान आतुर दिख रहे हैं। इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला दिख रहा है। गैसड़ी में त्रिकोणीय लड़ाई है तो बलरामपुर सदर सीट पर सीधा मुकाबला है।
सात में पांच सीटों पर बगावत के सुर बुलंद
गोंडा जिले में सात विधानसभा सीटों पर पांचवें चरण में मतदान होना है। 27 फरवरी को होने वाले चुनाव में पांच सीटों पर बगावत के चेहरे पूरे समीकरण को बदलने को आतुर दिख रहे हैं। करनैलगंज विधानसभा सीट से छह बार विधायक रहे अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया को भाजपा ने टिकट नहीं दिया। इसका कारण उनकी बीमारी बताई जा रही है। लेकिन उनके पुत्र शारदेन मोहन सिंह को राजनीति में इंट्री कराने के लिए लल्ला भैया टिकट मांग रहे थे। भाजपा ने अजय कुमार सिंह को टिकट दे दिया। इससे नाराज लल्ला भैया अपने लाव लश्कर के साथ सपा प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह के समर्थन में कूद पड़े। यहां मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण व बगावत ने सारे समीकरण फेल कर दिए हैं।
इसी तरह करनैलगंज के बगल की सीट कटरा बाजार की है। कटरा बाजार में भाजपा से टिकट मांग रहे बिनोद कुमार शुक्ला ने बसपा से मैदान में हैं। कटरा बाजार में भाजपा से विधायक बावन सिंह, सपा से पूर्व विधायक बैजनाथ दुबे मैदान में हैं। 2017 में इस सीट से बसपा से चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहने वाले मसूद खान बैजनाथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। इस विधानसभा में ब्राह्मण व मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं लेकिन ब्राह्मण वोटों में बिनोद शुक्ला की सेंधमारी और बसपा के कैडर वोट के कारण भाजपा और सपा दोनों सांसत में दिख रहे हैं।
ब्राह्मणों में भी जातीय घुटन
गौरवा जानीपुर गांव के पूर्व प्रधान व राजनीतिक विश्लेषक जसवंत लाल मिश्र कहते हैं कि बिनोद शुक्ला कान्यकुब्ज ब्राह्मण हैं। कटरा बाजार में करीब एक लाख ब्राह्मण वोटर हैं। इसमें 60 प्रतिशत कान्यकुब्ज हैं। केवल 40 प्रतिशत सरयूपारी व साकल्द्वीपी हैं। इसका भी बहुत प्रभाव दिखाई दे रहा है।
कमलेश निरंजन की बगावत से कुर्मी वोटर पशोपेश में
मेहनौन विधानसभा में भी बगावत के सुर समीकरण बिगाड़ रहे हैं। भाजपा ने विधायक विनय कुमार द्विवेदी को पुनः उतारा है। जबकि सपा ने पूर्व विधायक नंदिता शुक्ला को एक बार फिर मौका दिया है। सपा से कुर्मी विरादरी से कमलेश निरंजन टिकट मांग रही थीं। लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इससे यहां के कुर्मी वोटरों पर भाजपा कमलेश के जरिए साधने की कोशिश हो रही है और सपा कुर्मी वोटरों पर नंदिता शुक्ला की शालीनता की याद दिला कर डोरे डाल रही है। यहां मुस्लिम, ब्राह्मण व कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में दिख रहे हैं।
राम बिसुन को टिकट न देना सपा पर पड़ रहा भारी
मनकापुर सुरक्षित सीट पर मंत्री रमापति शास्त्री को भाजपा ने मैदान में फिर उतारा है। सपा ने पूर्व विधायक रामबिसुन आजाद को टिकट न देकर बसपा से सपा में शामिल हुए रमेश गौतम को टिकट दिया है। इसकी नाराजगी आम वोटरों में दिख रहा है। झिनकन सिंह कहते हैं कि इस बार यदि राम बिसुन को टिकट मिलता तो परिदृश्य कुछ अलग होता। वह मनकापुर राजघराने के कृपापात्र भी थे। लेकिन आम लोग अब पशोपेश में हैं।
राम प्रताप की बगावत से हिलोरें मार रही भाजपा
गौरा विधानसभा मुस्लिम व कुर्मी बाहुल्य है। यहां भाजपा ने विधायक प्रभात वर्मा पर पुनः भरोसा जताया है। यहां सपा से पूर्व विधायक राम प्रताप सिंह टिकट के प्रबल दावेदार थे। लेकिन अंत में सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया और संजय विद्यार्थी को उतार दिया। बसपा और कांग्रेस से दो बार चुनाव लड़ चुके अब्दुल कलाम मलिक भी सपा से टिकट मांग रहे थे। अब्दुल कलाम ने बगावत तो नहीं की और वह सपा प्रत्याशी के पक्ष में खुल कर मैदान में आ गए। लेकिन राम प्रताप सिंह ने बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। वहीं बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है। ऐसे में मुस्लिम वोटों के बिखराव से यहां भाजपा की बांछें खिली हुई हैं। ब्राह्मण वोटर भी नाराज होने के बाद भी भाजपा के समर्थन में दिख रहे हैं। यहां के बबलू तिवारी ने बताया कि सपा से राम प्रताप सिंह को टिकट मिला होता तो परिदृश्य कुछ और होता। यही कारण है कि भाजपा हिलोरें मार रही है।