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पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ किया जंग का ऐलान

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यूक्रेन के साथ जारी गतिरोध के बीच रूस ने युद्ध का ऐलान कर दिया है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने ये यह घोषणा की. इस बीच यूक्रेन की राजधानी कीव में धमाके शुरू होने की खबर है.

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन के सैनिक हथियार डालें और घर जाएं
यूक्रेन की राजधानी कीव पर किया मिसाइल से हमला

मास्को। यूक्रेन के साथ जारी गतिरोध के बीच रूस ने युद्ध का ऐलान  कर दिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य कार्रवाई की औपचारिक घोषणा की है। इसके साथ ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ रूसी ऑपरेशन में हस्तक्षेप करने वालों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह चेतावनी सीधे अमेरिका को दी गई है। पुतिन ने कहा कि जो भी यूक्रेन की मदद को आएगा उसके खिलाफ भी सैन्य कार्रवाई की जाएगी। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन ने कहा कि इस त्रासदी के लिए रूस पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।  वहीं, इस घोषणा के बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) ने पुतिन से युद्ध रोकने की अपील की है। UN ने कहा है कि रूस अपने सैनिकों को हमला करने से रोके।

राजधानी कीव मे धमाके हुए शुरू

रूस के सैनिकों ने सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। यूक्रेन की राजधानी कीव पर धमाके की तश्वीर सामने आनी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है की रूस ने कीव पर कब्जे को लेकर मिसाइल से हमला कर दिया है।

रूस ने यूक्रेन के दो प्रांतों को स्वतंत्र घोषित करके संकट को और गहरा कर दिया है।  रूस के इस कदम पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस मुद्दे पर दुनिया की दो महाशक्तियां, रूस और अमेरिका, आमने-सामने आ गई हैं। अमेरिका के बाद ब्रिटेन और जापान समेत कई देशों ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं।
इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आक्रामक भाषा के साथ रूसी-यूक्रेन सीमा अपने सैनिकों की तैनाती करके दुनिया की धड़कनें बढ़ा रहे हैं क्योंकि रूसी सेना यूक्रेन की सेना की तुलना में काफी मजबूत और अधिक सक्षम है।

रूस और युक्रेन की स्थिति 
रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया है। यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में अलगाववादी युद्ध को हवा दी है। रूस ने  डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है। इससे इन दोनों प्रांतों के जरिए यूक्रेन की घेराबंदी की रूस की राह आसान हो गई है। रूस, दोनों प्रांतों की रक्षा के लिए उनके मुख्य रक्षा सहयोगी के तौर पर यूक्रेन के खिलाफ खड़ा हो गया है। यूक्रेन पर रूस की कार्रवाई की वर्तमान प्रासंगिकता और ऐतिहासिक मिसाल दोनों हैं। शीत युद्ध के दौरान,  ब्लैक सी (काला सागर) में सोवियत संघ प्रमुख शक्ति बन गया था। हालांकि, साम्राज्य के पतन के बाद, रूस ने इस क्षेत्र में अपना अधिकांश क्षेत्र खो दिया। पूर्व सोवियत राज्य धीरे-धीरे पश्चिम के करीब आने लगे। यूक्रेन के पश्चिमी देशों के करीब जाने से अमेरिका के साथ रूस के संबंध खराब होने लगे हैं। रूस के खिलाफ अमेरिका और नाटो की सेना खड़ी हो गई है।

दोनों देशों में कौन है ज्यादा ताकतवर

अगर यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध होता है तो सैन्य क्षमता के आधार पर रूस यूक्रेन पर भारी दिखता है। ग्लोबल फॉयर पॉवर की रिपोर्ट के अनुसार रूस जहां रक्षा पर खर्च करने में तीसरा सबसे बड़ा देश है। वहीं यूक्रेन 20 वें नंबर है। इसी तरह हथियारों और दूसरे सैन्य संसाधनों में रूस, यूक्रेन से बहुत आगे है। बीते आठ सालों में रूस ने अपनी सैन्य ताकत बहुत अधिक बढ़ाई है।
ग्लोबल फायर पॉवर के मुताबिक, रूस के पास 30 लाख से ज्यादा जवान हैं, जिनमें से 10 लाख सक्रिय जवान हैं, जबकि यूक्रेन के पास 11.55 लाख जवान हैं जिनमें से करीब ढाई लाख सक्रिय हैं। रूसी नौसेना की बात करें तो रूस के पास 15 विध्वंसक, 70 पनडुब्बियों, 11 युद्धपोतों और लगभग 50 माइन युद्धपोत हैं। वहीं यूक्रेन के पास ऐसा कोई विध्वंसक या पनडुब्बी नहीं है। इसके अलावा केवल एक युद्धपोत और एक माइन युद्धपोत है।
  • रूस के पास जहां 1500 से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं तो यूक्रेन के पास महज 67 लड़ाकू विमान ही हैं।
  • रूस के पास 12000 से अधिक टैंक हैं जबकि यूक्रेन के पास केवल 2500 टैंक हैं।
  • रूस 30 हजार बख्तरबंद वाहन रखता है। वहीं यूक्रेन के पास 12 हजार ही ऐसे वाहन हैं।
  • रूस के पास 12000 स्व-चालित तोपें हैं। यूक्रेन की बात करें तो उसके पास 1000 से कुछ ज्यादा हैं।
  • 500 से अधिक हमले वाले हेलीकॉप्टर रूस के पास हैं। जबकि यूक्रेन के पास ऐसे केवल 34 हेलीकॉप्टर हैं।
  • यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय

    भारत की यूक्रेन से जुड़ाव की बात करें तो यूक्रेन में भारतीय बड़ी संख्या में रहते हैं जिसमें अधिकतर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बच्चों की है. फंसे भारतीयों को बाहर निकालने के लिए क्यीव (यूक्रेन की राजधानी) में स्थित भारतीय दूतावास ने जानकारी जुटानी शुरू की है और सरकारी आकलन के मुताबिक वर्ष 2020 में यूक्रेन में 18 हजार भारतीय स्टूडेंट्स थे लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन व ऑनलाइन क्लासेज के चलते यह संख्या कम हो सकती है। अब तक सैकड़ों छात्रों को भारत ने एअर इंडिया प्लेन के जरिए वापस बुला लिया है। छात्रों को निकालने का काम लगातार जारी है।

    रूस और यूक्रेन के बीच के विवाद को समझें

    • पिछले साल दिसंबर 2021 के मध्य में रूस ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अपनी मांगों के बारे में बताया था। रूस पश्चिमी देशों से लिखित आश्वासन चाहता था कि नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के पूर्व की तरफ न बढ़ें। इसके अलावा रूस ने पोलैंड व बाल्टिक राज्यों से नाटो की सेनाओं को हटाने और यूरोप से अमेरिकी नाभिकीय हथियार हटाने की मांग की थी।इन मांगों में सबसे अहम रहा कि यूक्रेन को कभी नाटो में शामिल होने की मंजूरी न दी जाए. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
    • न्यूयॉर्कर के एडिटर डेविड़ रैमनिक 1987-1991 के बीच वाशिंगटन पोस्ट करेस्पोंडेंट थे।उन्होंने अपनी पुस्तक Lenin’s Tomb: Last Days of the Soviet Empire में लिखा है कि लेनिन के लिए यूक्रेन को खोना रूस का सिर कटने जैसा है. पुतिन भी सोवियत संघ के विघटन को पिछली सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कह चुके हैं और वह लगातार सोवियर संघ से अलग हुए देशों में रूस के प्रभाव को फिर से कायम रखने की कोशिश में हैं. पुतिन के मुताबिक रूस और यूक्रेन एक ही इतिहास और आध्यात्मिक विरासत साझा करते हैं.
    • पिछली सदी के 90के दशक में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद नाटो का विस्तार पूर्व की तरफ हुआ और इसमें वे भी देश शामिल हुए जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे. रूस ने इसे खतरे के रूप में देखा. यूक्रेन अभी इसका हिस्सा तो नहीं है लेकिन यूक्रेन द्वारा नाटो देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और अमेरिकी एंटी-टैंक मिसाइल्स जैसे हथियारों के हासिल करने से रूस सतर्क हो गया. पुतिन के मुताबिक नाटो रूस पर मिसाइल के हमले के लिए यूक्रेन का लॉन्चपैड के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है. नाटो की वेबसाइट पर टारस कुजियो के लेख के मुताबिक मौजूदा संकट की सबसे बड़ी वजह ये है कि रूस वापस यूक्रेन को अपने प्रभाव में शामिल करना चाहता है.
    • इस विवाद की एक वजह आर्थिक है क्योंकि रूस यूनियन का खर्च अपनी दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी यानी यूक्रेन के बिना नहीं उठा सकता है.
    • रूस की भौगोलिक स्थिति भी इस विवाद का एक कारक है. रूस के बाद यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है. यूक्रेन के पास काला सागर के पास अहम पोत हैं और इसकी सीमा चार नाटो देशों से मिलती है. यूरोप की जरूरत का एक तिहाई नेचुरल गैस रूस सप्लाई करता है और एक प्रमुख पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुजरता है. ऐसे में यूक्रेन पर कब्जे से पाइपलाइन की सुरक्षा मजबूत होगी.

    (इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस)

  • विश्व युद्ध का खतरा मंडराया, यूक्रेन की तीन तरफ से घेराबंदी
  • रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई है। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला बोल दिया है। रूस के सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है। इस नाटो और 27 यूरोपीय देशों ने कड़ी निंदा की है। अमेरिका और यूरोपीय देशों की सेनाएं भी एलर्ट मोड में हैं। यदि अमेरिका इसमें इंट्री करता है तो विश्व युद्ध होने से नहीं रोका जा सकेगा। इसका असर एशियाई देशों पर भी पड़ेगा।रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वह यूक्रेन में तख्तापलट करना चाहते हैं। वहीं यूक्रेन ने रूस के हमले को देखते हुए मार्शल ला का ऐलान कर दिया है। यानि अब सेना के हवाले देश को कर दिया गया है। नागरिक कानून पर पाबंदी लगा दी गई है।
  • यूक्रेन ने किया जवाबी हमला, 5 फाइटर जेट व एक हेलिकॉप्टर मार गिराने का दावा
  • रूस ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। रूसी सेना यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। राजधानी कीव के एअर पोर्ट को खाली कराया गया है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने तथा घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है। भारत ने भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। यूक्रेन ने डोनेत्सक के दो गांवों पर रूस द्वारा कब्जा करने की पुष्टि की है।

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