-प्रदेश की वीआईपी सीटों में शुमार गोंडा सदर की सीट पर दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद
दिक्षिता मिश्रा
गोंडा। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अपने चरम पर पर है। प्रदेश की पश्चिमी व मध्य सीटों पर धुआंधार प्रचार में जुटे दिग्गजों के आरोपों प्रत्यारोपों के बीच गोंडा जिले की वीआईपी सीट गोंडा सदर एवं मनकापुर सुरक्षित सीटों पर दिलचस्प मुकाबले होने की संभावना है। पूर्व मंत्री स्व विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह की बिरासत को बचाने के लिए सूरज ने जंग का ऐलान कर दिया है। लेकिन इस बिरासत में साख बचाने की चुनौती पेश हो गई है, जबकि बेटे की सीट को बरकरार रखने के लिए पिता की ललकार ने कड़ा संदेश दे दिया है।
गोंडा जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं। 296 गोंडा सदर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार कांग्रेस के हाथ सीट रही। पहला चुनाव 1957 में हुआ। इसमें निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1962 व 1967 में कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी बाबू ईश्वर शरण ने जीत दर्ज की। इसके बाद जनसंघ से बाबू त्रिवेनी सहाय विधायक बने। 1977 में जनता पार्टी से फजलुलबारी उर्फ बन्ने भाई ने जीता। जनसंघ और जनता पार्टी के हाथ से कांग्रेस के रघुराज प्रसाद उपाध्याय ने 1980 सीट छीन लिया। इस सीट से उपाध्याय लगातार तीन बार विधायक बने। 1985 व 1989 में। 1990-91 में राम मंदिर आंदोलन ने इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया। 1991 में भाजपा से तुलसीदास रायचंदानी विधायक चुने गए। मंदिर आंदोलन के दौरान विवादित बाबरी ढांचा गिरने के कारण प्रदेश की सरकार गिर गयी। 1993 में पुनः चुनाव हुआ जिसमें रायचंदानी फिर जीत गये।
1996 में परिदृश्य बदला और गोंडा सदर सीट पर एक नये राजनीतिक चेहरे का जन्म हुआ। तरबगंज तहसील क्षेत्र के बल्लीपुर गांव के सामान्य परिवार से निकल कर राजनीति में कदम रखने वाले विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया। इसमें पंडित चुनाव जीत गये। 2002 में पंडित सिंह ने पुन: जीत दर्ज की और प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बने। लेकिन 2007 पंडित सिंह चुनाव हार गये और पहली बार इस सीट बसपा का खाता खुला। बसपा से जलील खां विधायक बन गये। लेकिन 2012 में विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह ने सीट पुन: छीन सपा की झोली में डाल दिया। पंडित सिंह इस बार सरकार में पहले राज्यमंत्री बने। एक घटना ने पंडित सिंह को बाहुबलियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। पहले मंत्री पद की कुर्सी गंवाई बाद में तोहफा के रूप में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 पंडित सिंह का ओवर कान्फीडेंस ले डूबा। उन्होंने गोंडा सदर से अपने भतीजे सूरज सिंह को तथा स्वयं तरबगंज से चुनाव लड़े। लेकिन दोनों सीटों से चुनाव हार गये और मोदी लहर के कारण दूसरे बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह भाजपा से चुनाव जीत गये।
गोंडा सदर सीट पर विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह तीन बार जीत कर विधायक बने और दो कार्यकाल में मंत्री रहे। सपा सरकार में उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में थी। लेकिन कोरोना के काल ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया।
गोंडा सीट पर तीन बार सपा तो तीन बार भाजपा का रहा कब्जा रहा है। 2017 के चुनाव में सपा के सूरज सिंह तीसरे नंबर पर रहे। दूसरे नंबर पर बसपा से जलील खां थे। इसमें भाजपा से प्रतीक भूषण सिंह चुनाव जीत गये थे लेकिन हार जीत का अंतर अधिक नहीं था। अब 2022 के चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी से सूरज सिंह मैदान में हैं। इस बार उनके साथ ऐंटी इन्कंबैंसी फैक्टर के साथ पूर्व मंत्री की सहानुभूति है। वहीं छह बार से सांसद व देवीपाटन मंडल की राजनीतिक धुरी बृजभूषण शरण सिंह की कड़ी चुनौती है। भाजपा का टिकट फाइनल होने से पहले कयासों का दौर चल रहा था कि शायद…. ।लेकिन
भाजपा ने प्रतीक भूषण सिंह पर पुनः भरोसा जताया है और प्रतीक के समर्थन में स्वयं उनके पिता बृजभूषण शरण सिंह मैदान में कूद पड़े हैं। ऐसे में सांसद की उपस्थिति मायने रखती है। एक तरफ सूरज के सामने अपने पिता पंडित सिंह की बिरासत को बचाने तो सांसद को अपनी साख कायम रखने की चुनौती है। वहीं बसपा ने हाजी मोहम्मद जकी को उम्मीदवार बनाया है। बसपा के पूर्व विधायक जलील खां 2017 रनर थे लेकिन उनका निधन हो गया और इस बार जलील के शागिर्द रहे जकी पर बसपा ने भरोसा जताया है। कांग्रेस ने एक महिला प्रत्याशी रमा कश्यप को टिकट देकर मैदान में उतारा है।
गोंडा जिले में कुल मतदाता
कुल-2445713
पुरुष – 1311787
महिला – 1133780
गोंडा सदर
कुल 346714
पुरुष – 185325
महिला – 161358